"कार्य ही पूजा है/कर्मण्येव अधिकारस्य मा फलेषु कदाचना" दृष्टान्त का पालन होता नहीं,या होने नहीं दिया जाता जो करते हैं उन्हें प्रोत्साहन की जगह तिरस्कार का दंड भुगतना पड़ता है आजीविका के लिए कुछ लोग व्यवसाय, उद्योग, कृषि से जुडे, कुछ सेवारत हैंरेल, रक्षा सभी का दर्द उपलब्धि, तथा परिस्थितियों सहित कार्यक्षेत्र का दर्पण तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358

what's App no 9971065525


DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची

https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं

बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Sunday, June 10, 2012

योजना आयोग कार्यालय बाथरूम

आलू वाले साहब, जितना पैसा पेशाब घर में एक यन्त्र पर लगा दिया, (आपके ही आंकड़ों के अनुसार) इतने में तो एक लाख लोग अपने परिवार का पालन कर लेते, यह किस योजना व औचित्य के तहत स्वीकृत हुआ? कृ. स्पष्ट करें ! तिलक
अभी कुछ दिनों पहले ग्रामीण क्षेत्र में आम आदमी की प्रति व्यक्ति आय 26 रुपये और शहरी क्षेत्र में आम आदमी की प्रति व्यक्ति आय 32 रुपये को पर्याप्त बताने वाले योजना आयोग के कर्ताधर्ता मोंटेक सिंह अहुवालियाँ ने योजना आयोग के कार्यालय में अपने बाथरूम पर 35 लाख रूपया खर्च करने की योजना को अंजाम दे दिया .... एक ओर भारत की सड़कों पर पार्याप्त शोचालय, पेशाब घर की कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही बनवाने की कोई योजना है, लेकिन विज्ञापनों के माध्यम से मुन्नी को खेत में शोच के लिए जाने पर गुंडे उठा कर ले जायेगे जैसे विज्ञापनों पर करोडो खर्च किये जाते है, भारत सरकार पर और योजना आयोग पर योजनाये तो बहुत है किन्तु खर्च केवल अपने पर करते है,
अरे जहाँ 17 हज़ार से अधिक योजनाओं का नाम केवल 1 परिवार के नाम पर रखा गया है, तो शोचालय बनवा कर इसे भी उसी परिवार का नाम दे दो | इस बार तो हम भी पूरा सहयोग करेगे, इस योजना के प्रचार और प्रसार के लिए |

दुरात्मा गंदगी ग्रामीण शोचालय
नेहरुदीन गाजी पेशाब घर
मुमियानो बेगम स्नान घर
अलबर्ट विन्ची शहरी विकास शोचालय
अन्तेनियो महिला पेशाब घर
आउल बाबा यूरिनल
बियंका सुलभ शोचालय
खान्ग्रेस चलता फिरता शोचालय ||

जय जय सियाराम ,, जय जय माँ भारती ||

______________________________ जीत शर्मा "मानव"
संपादक युग दर्पण तिलक 
हम जो भी कार्य करते हैं परिवार/ काम धंधे के लिए करते हैं,
देश की बिगडती दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता!
आओ मिलकर इसे बनायें-तिलक

No comments: