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Monday, February 29, 2016

बजट में कृषि क्षेत्र को प्रस्तावित 36,000 करोड़ रुपए

बजट में कृषि क्षेत्र को प्रस्तावित 36,000 करोड़ रुपए 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दीर्घ कालिक लक्ष्य के साथ आज इस कृषि क्षेत्र के लिए प्राय: 36,000 करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की। साथ ही उन्होंने आगामी वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर नौ लाख करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया। उन्होंने कृषि ऋण पर ब्याज छूट के लिए 15,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया जबकि नयी फसल बीमा योजना के लिए 5,500 करोड़ रुपए और दलहन उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 500 करोड़ रुपए का आवंटन किया। 
जेटली ने यह भी कहा कि एकीकृत कृषि बाजार 14 अप्रैल को प्रस्तुत किया जाएगा और मार्च 2017 तक सभी 14 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जाएगा। जेटली ने आज लोकसभा में 2016-17 का बजट प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘‘हमें अपने किसानों का आभारी होना चाहिए, जो देश की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ हैं। हमें खाद्य सुरक्षा से परे सोचने और किसानों को आय सुरक्षा की दृष्टी से वापस करने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार द्वारा कृषि और गैर कृषि क्षेत्र में अपने हस्तक्षेप पर, नए सिरे से ध्यान दिया जाएगा जिससे 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो सके।’’ 
जेटली ने कहा, ‘‘कृषि और किसानों के कल्याण के लिए हमारा कुल आवंटन 35,984 करोड़ रुपए है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करने पर बल या गया है कि किसानों को पर्याप्त और समय पर ऋण मिले। उन्होंने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2015-16 में 8.5 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य के समक्ष 2016-17 में कृषि ऋण का लक्ष्य नौ लाख करोड़ रुपए होगा, जो आज तक का उच्चतम स्तर है।’’ किसानों के ऋण भुगतान का बोझ कम करने के लिए उन्होंने कहा कि ब्याज छूट के लिए 2016-17 बजट में 15,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। जेटली ने कहा कि सरकार ने एक उल्लेखनीय फसल बीमा योजना, ‘‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’’ प्रस्तुत की है जिसके लिए 5,500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जिससे 2016-17 में प्रभावी कार्यान्वयन हो सके।
उन्होंने कहा कि सिंचाई कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। 
जेटली ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को अभियान के रूप में कार्यान्वित और सुदृढ़ किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि 28.5 लाख हेक्टेयर भूमि को इस योजना के तहत सिंचाई की सीमा में लाया जाएगा। जेटली ने कहा कि नाबार्ड में 20,000 करोड़ रुपए के आरंभिक कोष के साथ एक प्रतिबद्ध दीर्घकालिक सिंचाई कोष बनाया जाएगा जिससे सिंचाई सुविधा तैयार हो। उन्होंने कहा, ‘‘त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के तहत 89 सिंचाई परियोजनाओं के कार्यान्वयन में गति लाई जाएगी जो लम्बे समय से लंबित है।’’ इससे 80.6 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष 89 परियोजनाओं के लिए 17,000 करोड़ रुपए और आगामी पांच वर्ष में 86,500 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी। सरकार 31 मार्च 2017 से पूर्व इनमें से कम से कम 23 परियोजनाएं पूरी करेगी।
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छोटे करदाताओं को राहत, कारों पर उपकर, सेवा कर वृद्धि

छोटे करदाताओं को राहत, कारों पर उपकर, सेवा कर वृद्धि 

वित्त मंत्री अरुण जेटली के 2016-17 के बजट में जहां एक ओर छोटे आयकर दाताओं को राहत दी गयी, वहीं एक करोड़ रुपये से अधिक की आय वालों पर अधिभार तीन प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही यात्री कारों पर भिन्न -2 दर से प्रदूषण उपकर तथा देश में कालाधन रखने वालों के लिये 45 % कर एवं अर्थदंड के साथ एक बारगी अनुपालन खिड़की का प्रस्ताव किया गया है। 
अपना तीसरा बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु सभी कर योग्य सेवाओं पर 0.5 % ‘कृषि कल्याण’ उपकर लगाने का भी प्रस्ताव किया। साथ ही शीत गृह, शीतल पात्र तथा अन्य वस्तुओं पर परियोजना आयात पर शुल्क में छूट की घोषणा की। सिगरेट और तंबाकू उत्पाद अब और भी महंगे होंगे। इस पर उत्पाद शुल्क 10 से 15 % बढ़ाया गया है। वित्त मंत्री के कर प्रस्तावों से जहां प्रत्यक्ष कर मद में 1,060 करोड़ रुपये का राजस्व क्षय होगा, वहीं अप्रत्यक्ष कर प्रस्ताव से 20,670 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। कुल मिलाकर कर प्रस्तावों से 19,610 करोड़ रुपये की शुद्ध राजस्व प्राप्ति होगी। 
वैश्विक नरमी से अर्थव्यवस्था को उबारने के प्रयास के तहत, बजट में 2016-17 में 19.78 लाख करोड़ रुपये के व्यय का प्रस्ताव किया गया है, जो चालू वित्त वर्ष से 15.3 % अधिक है। इसमें 5.50 लाख करोड़ रुपये योजना व्यय तथा 14.28 लाख करोड़ रुपये गैर-योजना व्यय है। बजट में 2016-17 में रक्षा क्षेत्र के लिये 162,759 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो चालू वर्ष के संशोधित अनुमान 143,236 करोड़ रुपये से 13 % अधिक है। रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय मद में 86,340 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है, जो चालू वर्ष में संशोधित अनुमान के अनुसार 81,400 करोड़ रुपये था। ब्याज भुगतान के लिये 492,670 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो चालू वर्ष में 442,620 करोड़ रुपये था। छूट 2016-17 थोड़ा कम रहेगी। इसके 250,433 करोड़ रुपये रहने का प्रस्ताव किया गया ,है जो चालू वर्ष में संशोधित अनुमान 257,801 करोड़ रुपये से मामूली कम है। 
छोटे करदाताओं को राहत देते हुए बजट में 5,00,000 रुपये तक वार्षिक आय वालों के लिये धारा 87 (ए) के तहत कर छूट सीमा 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। इस श्रेणी में दो करोड़ करदाता हैं, जिन्हें कर देनदारी में 3,000 रुपये की राहत मिलेगी। जिनके पास अपना मकान नहीं है और नियोक्ताओं से आवास भत्ता नहीं लेता है, उन्हें 60,000 रुपये का छूट मिलेगा, जोवर्तमान 24,000 रुपये है। पहली बार मकान क्रय वालों को 35 लाख रुपये तक के ऋण पर 50,000 रुपये वार्षिक अतिरिक्त ब्याज छूट प्राप्त होगी। किन्तु इसके लिये शर्त है, कि मकान का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक नहीं हो। 
जिनकी व्यावसायिक सकल प्राप्ति 50 लाख रुपये तक है, उन्हें यह मानते हुए कि उनका लाभ 50 % रहता है, अनुमान के आधार पर कराधान की योजना की सीमा में लाने का प्रस्ताव किया गया है। जेटली ने देश में कालाधन और अज्ञात संपत्ति रखने वालों के लिये सीमित अवधि में कर अनुपालन का अवसर देने का भी प्रस्ताव है, ताकि वे अपनी अघोषित आय एवं संपत्ति का विवरण प्रस्तुत कर सकें। ऐसे लोग पर आय के 30 % के तुल्य कर के साथ 7.5 % दण्ड  तथा 7.5 % ब्याज अर्थात कुल 45 % का भुगतान कर नियमों के उल्लंघन की सीमा से बाहर निकल आयें। 
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि इस आवधि में अपने धन सम्पत्ति का विवरण प्रस्तुत करने वालों के विरुद्ध उस धन सम्पत्ति को लेकर आयकर तथा संपत्ति कर कानून के तहत कोई जांच नहीं होगी और अभियोजन से छूट प्राप्त होगी। ध्यान योग्य है कि विदेशों में कालाधन रखने वालों के लिये कुल कर एवं जुर्माना 60 % तक है। बजट में 1998 के अनाम सौदा अधिनियम से भी कुछ शर्तों के साथ छूट का भी प्रस्ताव किया गया है। घरेलू कालेधन की घोषणा के लिए इस सीमित अवधि की नयी योजना के अन्तरगत 7.5 % अधिभार को कृषि कल्याण अधिभार कहा जाएगा और उसका उपयोग कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिये किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आय घोषणा योजना के तहत धन सम्पत्ति घोषणा की अवधि एक जून से 30 सितंबर 2016 तक देने की योजना है। इसमें घोषणा के दो माह के भीतर उस पर निर्धारित देय राशि का भुगतान करना होगा।’’ प्रस्तावित 0.5 % कृषि कल्याण उपकर सभी सेवाओं पर लागू होगा। इससे प्राप्त राशि का उपयोग कृषि में सुधार एवं किसानों के कल्याण के लिये किया जाएगा। उपकर एक जून से प्रभाव में आएगा। 
शहरों में बढ़ते प्रदूषण और यातायात की स्थिति पर चिंता जताते हुए जेटली ने कहा कि वह पेट्रोल, रसोई गैस, सीएनजी से चलने वाली छोटी कारों पर एक %, निश्चित क्षमता वाली डीजल कारों पर 2.5 % तथा उच्च इंजन क्षमता वाले वाहनों पर एसयूवी पर 4.0 % की दर से मूलभूत ढांचा उपकर लगाने का प्रस्ताव करते हैं। अपने गत वर्ष के बजट में कंपनी कर को निश्चित समयावधि में 30 % से घटाकर 25 % करने के साथ छूट एवं प्रोत्साहनों को युक्तिसंगत एवं उसे समाप्त करने के वचन को स्मरण करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर कानून के तहत उपलब्ध कराये जा रहे त्वरित मूल्य ह्रास को एक अप्रैल 2017 से अधिकतम 40 % पर सीमित करने का प्रस्ताव किया गया है। अनुसंधान के लिये कटौती का लाभ एक अप्रैल 2017 से 150 % तथा अप्रैल 2020 से 100 % पर सीमित होगा। घरेलू विनिर्माण और रोजगार सृजन को गति देने के लिये उन्होंने एक मार्च 2016 या उसके बाद गठित नई इकाइयों को 25 % की दर से कर जमा अधिभार तथा उपकर देने का विकल्प उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया। किन्तु यह इस शर्त पर है कि वे लाभ या निवेश से जुड़े छूट को लेकर दावा नहीं करेंगे। वित्त मंत्री ने 5.0 करोड़ रुपये तक के व्यवसाय वाले छोटे उद्यमों के लिये कंपनी कर की दर वित्त वर्ष 2016-17 से कम कर 29 % करने का भी प्रस्ताव किया। इसके अतिरिक्त अधिभार और उपकर लगेगा। अभी वे 30 % कंपनी कर तथा अधिभार एवं उपकर देते हैं। 
‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत स्टार्ट-अप के माध्यम रोजगार को बढ़ावा देने के प्रयास के तहत बजट में उनके विस्तार को प्रोत्साहन हेतु अप्रैल 2016 से मार्च 2019 के बीच गठित कंपनियों को उनके लाभ पर पांच वर्ष में से तीन वर्ष के लिये आय में 100 % कटौती की छूट देने का प्रस्ताव किया गया है। 
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विलास पर कर, विकास पर बल

विलास पर करविकास पर बल 
तिलक 
29 फर 16 न दि 

बजट 2016-17 में कर ढांचे में कई प्रकार के परिवर्तनों से कारें, सिगरेट, ब्रांडके परिधान और विमान यात्रा महंगी हो जाएगी। वहीं पादत्राण, सौर दीप और राउटर सस्ते होंगे। कृषि कल्याण के लिए अतिरिक्त शुल्क तथा सभी प्रकार की सेवाओं पर मौलिक ढांचा उपकर से होटल आदि में खाना तथा बिलों का भुगतान महंगा हो जाएगा। साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क की दर को बढ़ाकर 15 % कर दिया है। 
बजट से महंगे होने वाले उत्पाद हैं: कारें, सिगरेट, सिगार, तंबाकू, कागज में लिपटी बीड़ी तथा गुटखा, सभी प्रकार की सेवाएं अर्थात बिलों का भुगतान, होटल में खाना और हवाई यात्रा। निर्मित वस्त्र एवं 1,000 रुपये से अधिक के ब्रांडयुक्त परिधान।
सोना और चांदी (चांदी के जड़ाऊ गहनों को छोड़कर) के आभूषण, शुद्ध पेयजल सहित चीनी या मीठी सामग्री से युक्त जल, दो लाख रुपये से अधिक की नकद वस्तुएं और सेवाएं, एल्युमीनियम पन्नी।
––विमान यात्रा
––प्लास्टिक थैला और सनैक्स
––रोपवे, केबलकार की सवारी
––आयातित नकली (इमिटेशन) आभूषण, औद्योगिक सौर जल तापन, कानूनी सेवाएं।
––लॉटरी टिकट
––बसों आदि को किराये पर लेना, 'पैकर्स और मूवर्स' की सेवाएं
––'ई रीडिंग' उपकरण
––अंतरजाल पर मूललिपि बोल के उपकरण, आयातित गोल्फ कार
–सोने की छड़

बजट से ये उत्पाद सस्ते होंगे-
–पादत्राण (फुटवियर)
–सौर दीप
–राउटर, ब्रॉडबैंड मॉडम और सेटटॉप बाक्स, डिजिटल वीडियो अभिलेखन और सीसीटीवी कैमरा।
––हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन,
––स्टरलाइज्ड डायलाइजर
––60 वर्ग मीटर से कारपेट क्षेत्र के कम मूल्य के मकान,
प्रदर्शन के लिए लोक कलाकारों की सेवाएं,
-प्रशीतित पात्र (रेफ्रिजरेटेड कंटेनर)
––पेंशन योजनाएं
––सूक्षम तरंगित तापन (माइक्रोवेव ऑवन)
––आरोग्यकर अस्तर
––चक्षुहीन पठन हेतु उभरे पाठ्य 

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Tuesday, December 22, 2015

विधेयक पारित, संगीन अपराधों में किशोर आयु 16

विधेयक पारित, संगीन अपराधों में किशोर आयु 16 
तिलक  
22 दिसं
देश की आत्मा को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के तीन वर्ष बाद संसद ने आज किशोर न्याय से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधेयक कोस्वीकृति दे दी जिसमें बलात्कार सहित संगीन अपराधों के मामले में कुछ शर्तों के साथ किशोर माने जाने की आयु को 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है। इसमें किशोर न्याय बोर्ड के पुनर्गठन सहित कई प्रावधान किये गये हैं। देश में किशोर न्याय के क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव डालने वाले किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक को आज राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक पर लाये गये, विपक्ष के सारे संशोधनों को सदन नेअस्वीकार कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने के विरोध में माकपा ने सदन से बहिर्गमन किया। इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि इस कानून के तहत जघन्य अपराधों में वे ही अपराध शामिल किये गये हैं जिन्हें भारतीय दंड विधान संगीन अपराध मानता है। इनमें हत्या, बलात्कार, फिरौती के लिए अपहरण, तेजाब हमला आदि अपराध शामिल हैं। उन्होंने संगीन अपराध के लिए किशोर माने जाने की आयु 18 से 16 वर्ष करने पर कुछ सदस्यों की आपत्ति पर कहा कि अमेरिका के कई राज्यों, चीन, फ्रांस सहित कई देशों में इन अपराधों के लिए किशोर की आयु नौ से लेकर 14 वर्ष तक की है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस के आंकड़ों को माना जाए तो भारत में 16 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अपराध का चलन तेजी से बढ़ा है। मेनका ने किशोर न्याय बोर्ड में किशोर आरोपी की मानसिक स्थिति तय करने की लंबी प्रक्रिया के संदर्भ में कहा कि ऐसा प्रावधान इसीलिए रखा गया है जिससे किसी निर्दोष को दंड न मिले। सदन में आज इस विधेयक को प्रस्तुत करने और इस पर चर्चा के मध्य 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के माता पिता भी दर्शक दीर्घा में उपस्थित थे।
इससे पूर्व इस विधेयक पर चर्चा के मध्य विभिन्न दलों के सदस्यों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाने पर बल दिया। सदस्यों ने किशोर अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर भी चिंता जतायी और बाल सुधार गृहों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार को उचित कदम उठाने को कहा।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक 2015 सदन में चर्चा के लिए रखते हुए कहा कि इसके प्रावधानों से निर्भया मामले में भले ही प्रभाव नहीं होता हो किन्तु आगे के मामलों में नाबालिगों को रोका जा सकता है। उन्होंने सदस्यों से इस विधेयक को पारित करने की अपील करते हुए कांग्रेस से कहा कि यह विधेयक उनका है। उन्होंने कहा कि इसका आरम्भ आपने किया था और हम इसे पूर्ण कर रहे हैं। विधेयक के प्रावधानों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक समग्र विधेयक है। बाल अपराधों के मामले में आयु की सीमा कम किए जाने के प्रावधान वाले इस विधेयक में किशोर न्याय बोर्ड को कई अधिकार दिए गए हैं। मेनका गांधी ने कहा कि किसी भी नाबालिग दोषी को सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा। किशोर न्याय बोर्ड यह निर्णय करेगा कि बलात्कार, हत्या जैसे गंभीर अपराधिक घटनाओं में किसी किशोर अपराधी के लिप्त होने के पीछे उसकी मानसिकता क्या थी। बोर्ड यह तय करेगा कि यह कृत्य वयस्क मानसिकता से किया गया है या बचपने में। उन्होंने कहा कि ऐसे नाबालिग अपराधी को भी उच्च अदालतों में अपील करने का अधिकार होगा।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह विधेयक गत सत्र में और इस सत्र में भी कई दिन चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया था। किन्तु सदन में हंगामे के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि ऐसी बात की जा रही है कि सरकार इस विधेयक को लाने की इच्छुक नहीं थी। उन्होंने हालांकि कहा कि यह विधेयक विगत काल से प्रभावी नहीं होगा।
विधेयक पर चर्चा का आरम्भ करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आयु को लेकर पूरे विश्व में अलग अलग राय है और इस संबंध में विभिन्न देशों के अपने कानून हैं। किन्तु हमें भारत में अपने समाज के हिसाब से देखना है। विभिन्न प्रकार के अपराधों में किशोरों का उपयोग किए जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने सुझाव दिया कि उन्हें जेल में अलग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें कट्टर अपराधियों के साथ रखेंगे, तो किशोर अपराधियों में सुधार की सम्भावना कम हो जाएगी। 
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक
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Sunday, December 6, 2015

श्रमिक कल्याण से जुड़े नए कदम

डा बी आर अम्बेडकर श्रम कल्याण एवं सशक्तिकरण उनके स्वप्न को साकार करने की पहल
श्रमिक ल्याण से जुड़े श्रम एवं रोजगार मंत्री के नए कदमों की रूपरेखा 
श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्तात्रेय का प्रेस वक्तव्य निम्नलिखित है –
‘सरकार श्रम सुधारों का विरोध करने के लिए व्यक्त किए गए कुछ विचारों से अप्रसन्न है। नई सरकार मात्र वक्तव्य जारी करके झूठी आशाएँ जगाने के बजाय, सही अर्थों में पहले ही दिन से कामगारों समेत सभी का कल्याण करने के लिए प्रतिबद्ध रही है।
सरकार संगठित अथवा असंगठित क्षेत्र के प्रत्येक कामगार को रोजगार सुरक्षा, वेतन संबंधी सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
गत डेढ़ वर्षों के मध्य नई सरकार ने श्रमिकों की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए अनेक ठोस कदम उठाए हैं और नई पहल की है।
पदभार संभालने के बाद नई सरकार ने न केवल 1000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की घोषणा की है, बल्कि‍ इसे शाश्वत ढंग से लागू भी किया है। नई सरकार के इस कदम से लगभग 20 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं। गत सरकार द्वारा इस आशय का आदेश कभी भी जारी नहीं किया गया था।’
नई सरकार ने बोनस सीमा को वर्तमान 3500 रुपये से बढ़ाकर 7000 रुपये करने अथवा पारिश्रमिक बढ़ाने, इनमें से जो भी अधिक हो, के लिए मंत्रीमण्डल की स्वीकृति प्राप्त करके श्रमिकों के लिए दूरगामी कल्याणकारी उपाय भी किया है।’ 
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Friday, December 4, 2015

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का दृष्टिकोण (संबोधन में)


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली में हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स लीडरशिप समिट को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत की सुनहरे भविष्‍य की ओर यात्रा का विवरण देते हुए कहा कि भारत की वर्तमान स्थिति को विश्‍व के संदर्भ में देखने के साथ-साथ कुछ वर्ष पहले भारत कहाँ था इस संदर्भ में देखना होगा। 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत के आर्थिक सुधारों के प्रति अपने दृष्टिकोण का विवरण देते हुए, हाल ही मिली कुछ बड़ी आर्थिक सफलताओं, जिनमें 7.4 प्रतिशत आर्थिक विकास दर और व्‍यापार करने के लिए सुगमता में उन्‍नति सम्मिलित है, का उल्लेख किया। उन्‍होंने कहा कि व्‍यापार करने के लिए सुगमता में बढ़ोतरी केवल केंद्र और राज्‍य के मिलकर काम करने के कारण मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्‍यों को 14वें वित्‍त आयोग की अनुशंसाओं के अनुरूप अतिरिक्‍त वित्‍तीय सहायता दी गई है। 
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बताया कि एलपीजी सब्सिडी के प्रत्‍यक्ष हस्‍तांतरण और एलईडी लाइटिंग योजना से करोड़ों रूपये की बचत की जा रही है। उन्‍होंने कहा कि यूरिया में नीम की परत चढ़ाने से इसके कृषि क्षेत्र के अतिरिक्‍त दूसरे क्षेत्रों में उपयोग को रोकने में सहायता मिली है। प्रधानमंत्री ने बिहार में दो लोकोमोटिव निर्माण इकाईयों के लिए हाल ही में रेल क्षेत्र में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश का उल्‍लेख भी किया। 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत बिना बिजली वाले 18 हजार गांवों में विद्युतीकरण की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में प्रगति हर कोई ग्रामीण विद्युतीकरण एप के द्वारा देख सकता है। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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Tuesday, December 1, 2015

अत्याचार का शिकार, रेलवे के 1174 शोषित पीड़ित !

- समूह संपादक युगदर्पण -
रेलवे के ये 1174 शोषित पीड़ित !
रेलवे उपभोगता सहकारी समिति, रेलवे इंस्टिट्यूट, क्वासी एडमिनिस्ट्रेटिव (अर्द्ध प्रशा.) कर्मियों का कल और आज जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन हुआ। आज के समय में जब एक अनपढ़ के लिए भी आजीविका और न्यूनतम वेतन की बातें कर स्वयं को मानवता वादी, मजदूर का मसीहा घोषित किया जाता रहा है। विगत सरकारों का प्रशासन अपने उपयोग के लिए ऐसे कर्मियों की ठेके पर भर्ती तो करता रहा किन्तु शोषण की पराकाष्ठा देखिये कि दिन भर की नौकरी के पश्चात (चौंकिए नहीं) मासिक वेतन के नाम मात्र 100 से 300 रु, जी हाँ, कथित दैनिक न्यूनतम मजदूरी के बराबर, इन्हे प्रति माह दिया जा रहा है। किसी कार्य के लिए यदि किसी को 30 वर्ष पूर्व जो वेतन दिया जाता था, आज भी उसमे बिना संशोधन या वृद्धि के दिया जाता रहे ऐसा इतिहास में कोई उदहारण है तो मात्र यही वर्ग।
इससे भी अधिक चौंकाने की बात यह है कि रेलवे के उपरोक्त संस्थानों में कार्यरत शोषण की इस पराकाष्ठा को झेलने वाले ये कर्मी कोई अनपढ़ भी नहीं हैं। अपितु नियमित चयनित कर्मियों के तृतीय श्रेणी के योग्यता मान मेट्रिक या इंटर को देखते ये तृतीय श्रेणी के योग्य होकर भी, नियमित किये जाने की आस में निरंतर शोषण का शिकार बनते रहने पर भी चतुर्थ श्रेणी में नियमित किये जाने मांग कर रहे है। प्रशासन वह भी देने को तैयार नहीं।  जैसे पांडव 5 गाँव मांगे और कौरव वह भी देने को तैयार न हों।
इसी प्रकार के सहस्त्रों बच्चों को भर्ती कर वर्षों से यह शोषण गाथा चल रही है। पहले इनमे कुछ चहेते नियमित किये जाते अन्य ऐसे ही जीवन बिता देते। किन्तु तब सस्ते समय में ये चल जाता था, बाद में एक बार 2007 में 1997 तक की भर्ती वालों को सामूहिक नियमितीकरण भी हुआ किन्तु 1997 के बाद के उसी ज़माने के वेतन पर भर्ती हो कर बिना वेतन वृद्धि या नियमितीकरण के इस महंगाई का सामना कर रहे हैं। इन्हें न्याय नकारते हुए कहा जा रहा है की जब रिक्तियां निकले तो नियमित चयन प्रक्रिया का सामना करो। प्रश्न यह है कि क्या चयन की सामान प्रक्रिया में इन्हे आयुसीमा की छूट मिलेगी ? अथवा बल तलने का प्रयास भर है ? अपने भविष्य को अंधकारमय देख हताशा में इनकी मनोदशा यह है कि अब ये चतुर्थ श्रेणी में संतुष्ट हो कर, इसे न्याय मानने को तैयार हैं किन्तु प्रशासन तो दुर्योधन का हठ त्यागना ही नहीं चाहता।
रेल मंत्रालय द्वारा 2000, 2006, व 2011, में विविध क्षेत्रीय रेलों तथा उत्पादन इकाइयों से आंकड़े एकत्र किया जाने तथा 2007 के निमितिकरण को आगे बढ़ाते हुए इन शेष बचे 1174 शोषित पीड़ितों को इस निर्मम अत्याचार से मुक्ति मिलनी ही चाहिए। इन 1174 हताश शिक्षित युवाओं को कब तक इस अत्याचार का शिकार  रहेगा ? यह यक्ष प्रश्न किसी यक्ष की भांति कब अपना उत्तर प्रस्तुत करेगा? यह समय के गर्भ में है।
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