"कार्य ही पूजा है/कर्मण्येव अधिकारस्य मा फलेषु कदाचना" दृष्टान्त का पालन होता नहीं,या होने नहीं दिया जाता जो करते हैं उन्हें प्रोत्साहन की जगह तिरस्कार का दंड भुगतना पड़ता है आजीविका के लिए कुछ लोग व्यवसाय, उद्योग, कृषि से जुडे, कुछ सेवारत हैंरेल, रक्षा सभी का दर्द उपलब्धि, तथा परिस्थितियों सहित कार्यक्षेत्र का दर्पण तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Tuesday, December 6, 2011

गूगल-भारत का अपनी सामग्री नीति पर स्पष्टीकरण (हिंदी अनुवाद)

बस, क्योंकि यह सामग्री विवादास्पद है, इससे नहीं हटायेंगे :गूगल    (साभार प्रस्तुति)   

नई दिल्ली: ऑनलाइन सामग्री विनियमन पर उग्र विवाद के बीच, इंटरनेट खोज अग्रणी गूगल भारत ने मंगलवार को कहा कि वह देश के कानून के अनुपालन के साथ है, किन्तु किसी भी सामग्री को बस इससे नहीं हटायेंगे क्योंकि यह सामग्री विवादास्पद है :गूगल 
"कानून के पालन के साथ ही उपयोगी जानकारी लोगों तक पहुचना यथासंभव सुनिश्चित करने हेतु वास्तव में हम कठिन काम करने में विश्वास करते है इसका अर्थ यह है कि जब सामग्री गैरकानूनी है, हम स्थानीय कानून का पालन करते है और इसे हटा देते हैं ..
यहां तक ​​कि जहां सामग्री कानूनी है किन्तु हमारे स्वयं के नियम और शर्तों का उल्लंघन करती है या तोड़ती है; एक बार हमें इसके बारे में अधिसूचित किया गया है, हम उसे भी हटा देते हैं," गूगल के एक प्रवक्ता ने कहा 
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"किन्तु जब सामग्री कानूनी है और हमारी नीतियों का उल्लंघन नहीं होता, हम केवल इसलिए नहीं हटाते है कि यह विवादास्पद है हम मानते हैं कि लोगों के विचार भिन्न होकर यदि वे कानूनी सही हैंसंरक्षित और सम्मान किया जाना चाहिए" प्रवक्ता ने कहा  
केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने आज गूगल और फेसबुक जैसे सामाजिक वेबसाइटों से सुनिश्चित करने को कहा कि अपमानजनक ऑनलाइन सामग्री के अपलोड बंद कर दिया है। कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार तो हस्तक्षेप नहीं चाहती है किन्तु यदि सामाजिक नेटवर्किंग साइट सहयोग करने को तैयार नहीं हैं, "तो आवश्यक कदम के बारे में सोचना यह सरकार का कर्तव्य है " सरकार ने गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और याहू के अधिकारियों से मुलाकात की, विशेष रूप से पिछले कुछ सप्ताह से इंटरनेट पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विरुद्ध आक्रामक सामग्री के बाद 
अग्रणी खोज इंजन याहू ने मंत्री के विचारों पर टिप्पणी करने से मना कर दिया, जबकि माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे
'सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक', देश में जिसके 25 लाख से अधिक उपयोगकर्ता है, ने कहा है कि यह धमकी देने, घृणा, हिंसा  नग्नता फ़ैलाने वाली किसी भी सामग्री को निकाल है उस की सेवा बंद कर देंगे, ऐसा उनकी शर्तों में भी दिया है
"अपमानजनक सामग्री ऑनलाइन उपलब्धता न्यूनतम करने में सरकारी रूचि हम स्वीकारते है और भारतीय अधिकारियों के साथ इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस के रूप में सरकार से चर्चा जारी रखेंगे" फेसबुक ने एक बयान में कहा बयान में आगे कहा: "हम फेसबुक एक ऐसी जगह है जहां लोग दूसरों की भावनाओं और अधिकार को सम्मान देते हुए, मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से चर्चा चाहते हैं, कर सकते हैं । इसलिए हमारी साइट पर पहले से ही नीतियों में जगह और लोगों को अपमानजनक सामग्री रिपोर्ट करने के लिए सक्षम सुविधाएं है"
सिब्बल ने कहा है 'साइटों में से कुछ पोस्ट पर सामग्री इतना आक्रामक थी कि यह देश में समुदायों के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाती होगी । '
नोट: पाठक इसे पढ़ कर बताएं, सरकार व मंत्री जी का चरित्र, इतिहास और उपरोक्त से आपको क्या लगता है ? :
मंत्री की चिंता का कारण किसी की धार्मिक भावनाओं को चोट है अथवा इंटरनेट पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विरुद्ध आक्रामक सामग्री । 
धार्मिक भावनाओं की चिंता के पर्दे के पीछे की राजनैतिक चिंता की ओर देश के शीर्ष मिडिया ने देखने व दिखने का प्रयास किया ?
आइये आप और हम मिलकर इसे सब तक पहुंचाएं । साथ ही सब मिलकर सरकार की (बदनीयती)चाल फेसबुक को समझाएं 
हम सच को छुपाते नहीं, छुपाये जा रहे सच को प्रकाश में लाते हैं -संपादक युग दर्पण 
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Saturday, November 19, 2011

हमारे अन्य सूत्र (लिंक)

दूरदर्पणग्रन्थ ज्ञान दर्पणदेश समाज दर्पणजीवन रस दर्पण, 4 YOUTUBE चेनल, 
फेसबुक व 4 समूह, आर्कुट व 7 समुदाय तथा रेडिफ व ट्विटर के लिंक हेतु : 

HTTP://PAGES.REDIFF.COM/VISHVAGURUBHARATJAGRAT/231849

*स्वप्नों का भारतमहाराणा प्रताप ; लेखक पत्रकार राष्ट्रीय मंचदेशका चौकीदार कहे- देश भक्तो, जागते रहो-(भारत और इंडिया के भावात्मक अंतर सहित)My friends dedicated to Bharatयुगदर्पण मित्र मंडलराधे कृष्ण - भूले बिसरे भजन.
http://www.google.com/transliterate/indic
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Wednesday, November 16, 2011

सोनिया व एनएसी के विरुद्ध स्वामी की शिकायत अंकित

सोनिया व एनएसी के विरुद्ध स्वामी की शिकायत अंकित 

जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने प्रस्तावित साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक पर सोनिया गांधी और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के अन्य सदस्यों की सोच को लेकर उनके विरुद्ध पुलिस में शिकायत अंकित कराई है.

सुब्रह्मण्यम स्वामी
यह आरोप लगाते हुए कि एनएसी अध्यक्ष गांधी प्रस्तावित विधेयक के माध्यम हिंदू समुदाय के विरुद्ध 'अपराध कर रही' हैं, स्वामी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने 24 अक्टूबर को पुलिस में शिकायत की थी किन्तु अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
स्वामी ने अपनी शिकायत में विवादास्पद साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक 2011 का प्रारूप तैयार करने वाली एनएसी के अन्य सदस्यों के नाम भी शामिल किए हैं.
स्वामी ने अपनी शिकायत में कहा, 'जन हित में मैं अपने नाम से राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनएसी के अज्ञात अन्य सदस्यों जिन्होंने भारत के हिंदू समुदाय के विरोध में कटुता का बढ़ावा देने का अपराध किया है, उनके विरुद्ध शिकायत भेज रहा हूं.'
स्वामी ने कहा कि उन्होंने दिल्ली पुलिस से अपनी शिकायत की थी और अब वह इस क्रम में शीघ्र ही उच्च न्यायालय जाएंगे. वहीं, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

सुब्रह्मण्यम स्वामी को अपनी पैरवी स्वयं करने की अनुमति

जनता पार्टी प्रमुख सुब्रह्मण्यम स्वामी को दिल्ली के एक न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में उनकी निजी शिकायत पर अपनी पैरवी स्वयं करने की अनुमति दे दी.

न्यायालय ने उन्हें एक याचिका दायर करने के लिए भी समय दे दिया. इस याचिका में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम को आरोपी बनाने की मांग की गई है. इससे संबंधित मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है.

स्वामी ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी के समक्ष कहा कि चूंकि 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में चिदंबरम की भूमिका की सीबीआई जांच संबंधी याचिका उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है, इसलिए न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करना उचित होगा और उसके बाद चिदंबरम को इस मामले में आरोपी बनाने की याचिका लेकर इस न्यायालय में आना सार्थक होगा.

जनता पार्टी प्रमुख ने सीबीआई न्यायाधीश को बताया कि उनकी याचिका पर न्यायालय का निर्णय एक सितंबर को आना संभावित है और इसके बाद वह 15 सितंबर तक अपनी याचिका दायर कर देंगे, जिसमें चिदंबरम को इस मामले में आरोपी बनाए जाने की मांग होगी. न्यायालय ने मामले की आगामी सुनवाई 15 सितंबर को निर्धारित की है.

सुब्रह्मण्यम स्वामी के विरुद्ध पलटवार 
दिल्ली पुलिस ने जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी के विरुद्ध समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने के आरोप में मामला अंकित किया. स्वामी के विरुद्ध यह मामला उनकी इस उस टिप्पणी के लिए अंकित किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि मुस्लिमों से मतदान का अधिकार छीन लेना चाहिए. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अपराध शाखा ने स्वामी के विरुद्ध इस वर्ष जुलाई में एक अखबार में लेख लिखकर समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने को लेकर आईपीसी की धारा 153 ए के तहत मामला अंकित किया है. वरिष्ठ अधिवक्ता आर के आनंद ने इस संबंध में स्वामी के विरुद्ध शिकायत अंकित कराई थी. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने अगस्त में लेख में स्वामी की ओर से की गई टिप्पणी को लेकर मामला अंकित करने का निर्णय किया था. हार्वर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले स्वामी ने अखबार में लिखे अपने आलेख में कहा था कि हिंदुओं को सामूहिक रूप से आतंकवादी कृत्यों का प्रतिउत्तर देना चाहिए.

देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण की परिणति दर्शाने का प्रयास !
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Friday, November 11, 2011

सोनिया गाँधी की "वैधानिकता" पर प्रथम अधिकृत प्रश्न चिन्ह ?

सोनिया गाँधी की "वैधानिकता" पर प्रथम अधिकृत प्रश्न  चिन्ह ?
उत्तराखण्ड में 
आगामी चुनाव को देखते हुए ॠषिकेश से कर्णप्रयाग की रेल लाइन के निर्माण का भूमिपूजन विशाल स्तर पर किया जाना था। गढ़वाल क्षेत्र में इस 4,295 करोड़ रु. की रेल परियोजना की नींव का पत्थर रखने के लिए सोनिया गाँधी को आमंत्रित किया गया था (देश के कई राज्यों में एक संवैधानिक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का अपमान करते हुए सोनिया गाँधी से उदघाटन करवाने की चरणपूजन परम्परा रही है।)। अपनी "रहस्यमयी बीमारी" के बाद सोनिया गाँधी की यह पहली विशाल आमसभा भी होती…। किन्तु उचित समय पर उत्तराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री श्री खण्डूरी ने कांग्रेस के
रंग में भंग कर दिया। 
हाल ही में अण्णा की मंशा के अनुरूप जनलोकपाल बिल पास करवा उनसे प्रशंसा पा चुके भुवनचन्द्र खण्डूरी ने "प्रोटोकॉल" का प्रश्न उठाते हुए राष्ट्रपति भवन एवं प्रधानमंत्री कार्यालय से लिखित में पूछा, कि "आखिर सोनिया गाँधी किस हैसियत से इस केन्द्रीय रेल परियोजना की आधारशिला रख रही हैं? न तो वे प्रधानमंत्री हैं, न ही रेल मंत्री हैं और UPA अध्यक्ष का पद कोई संवैधानिक पद तो है नहीं?…यह तो साफ़-साफ़ संवैधानिक परम्पराओं का उल्लंघन एवं प्रधानमंत्री और रेल मंत्री का अपमान है…"।
इसके बाद सोनिया गाँधी का यह कार्यक्रम रद्द तो कर दिया गया और इस आधारशिला कार्यक्रम में एक सांसद ने सोनिया गाँधी का एक संदेश पढ़कर सुनाया
। किन्तु राज्य की इस महत्वपूर्ण योजना के इस संवैधानिक कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री को ही निमंत्रण नहीं दिया गया था, मानो यह रेल परियोजना "गाँधी परिवार" का कोई पारिवारिक कार्यक्रम हो। वैसे यदि यह कार्यक्रम अपने मूलरूप में सम्पन्न होता, तो दिनेश त्रिवेदी (रेलमंत्री), भरतसिंह सोलंकी और केएम मुनियप्पा (दोनों रेल राज्यमंत्री) सोनिया गाँधी के पीछे-पीछे खड़े होकर सिर्फ़ हें-हें-हें-हें-हें करते हुए हाथ भर हिलाते, किन्तु अब रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी को उनका "उचित संवैधानिक सम्मान" मिला।
स्पष्ट है कि कांग्रेस खण्डूरी के इस वार से भौंचक्की रह गई है, क्योंकि अभी तक किसी मुख्यमंत्री का ऐसे "असुविधाजनक प्रश्न" उठाने का "साहस"(?) नहीं हुआ था। अब शर्म छिपाने के लिए कांग्रेस द्वारा "उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे" की तर्ज पर प्रदेश कांग्रेस ने खण्डूरी की कड़ी आलोचना की गई। कांग्रेस ने कहा है कि सोनिया गाँधी बीमारी की वजह से उनका यहाँ आना रद्द किया गया है, इसका खण्डूरी के सवालों से कोई लेना-देना नहीं है…।
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Friday, November 4, 2011

युगदर्पण के 10 हजारी होने पर आप सभी को हार्दिक बधाई व धन्यवाद.

युगदर्पण के 10 हजारी होने पर आप सभी को हार्दिक बधाई व धन्यवाद. युग दर्पण ब्लाग पर 49 देशों के ३६४०, तथा राष्ट्र दर्पण पर ३३ देशों के १६९३, लोगों ने विगत १ १/२ वर्षों में बने हमारे ब्लाग को १० हज़ार बार खोला है पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण
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Thursday, November 3, 2011

अखिल असम छात्र संघ की मुख्यमंत्री को चुनौती

अखिल असम छात्र संघ की मुख्यमंत्री को चुनौती
यु.द.समाचार, गुवाहाटी, 26 अक्तूबर -
   अखिल असम छात्र संघ (AASU) ने आज मुख्यमंत्री तरुण गोगोई द्वारा हाल ही में देश की सीमा विवाद पर बांग्लादेश के साथ समझौता हस्ताक्षर किए जाने से 1200 एकड़ भूमि के अर्जित किया जाने के दावे को चुनौती दी है तथा कहा कि वह उस भूखंड की पहचान कर जनता को अवगत कराएँ.
   अखिल असम छात्र संघ सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री असम मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस सौदे में असम ने भूमि को पर्याप्त मात्रा में खो दिया और कहा कि यह असम के लोगों को स्वीकार्य नहीं है. मुख्यमंत्री ने सौदा हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद उनके दिल्ली आगमन के बाद इस मुद्दे पर सबसे पहले जो वक्तव्य दिया था और विधानसभा में एक और एक बयान दिया था. जिससे यह साबित होता है कि मुख्यमंत्री लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, अ.अ.छा.संघ सलाहकार ने कहा.
   भट्टाचार्य ने कहा है कि केन्द्र और राज्य में सरकार लगातार देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफल रही है. हालांकि करीमगंज में पालाथल क्षेत्र में सीमा स्तंभ वर्षों पूर्व 1962 में बनवाये गये थे, क्षेत्र की रक्षा करने में सरकार की अपराधिक विफलता से विदेशी नागरिक क्षेत्र का अतिक्रमण करने में सफल रहे और बाद में बांग्लादेश ने दावा किया कि क्षेत्र में इसके प्रतिकूल कब्जे के तहत हुई थी. सरकार को अतिक्रमण रोकना व बेदखल करना चाहिए था, लेकिन ऐसा करने के बजाय क्षेत्र बांग्लादेश को क्यों सौंप दिया गया, उन्होंने कहा.        
     अ.अ.छा.संघ सलाहकार ने कहा कि सीमा पर बाड़ लगाने के कारण ही अतिक्रमण बंद हुआ. हालांकि, बाड़ लगाने की धीमी प्रगति चिंता का विषय है. कोई सरकार बाड़ लगाने के लिए उपलब्धि का दावा नहीं कर सकती   हैं बाड़ कसना, यह असम समझौते का हिस्सा था, उन्होंने कहा.
     इस बीच, अ.अ.छा.संघ ने विपक्ष के राजनीतिक दलों के साथ, उन्हें देश की सीमा संधि का अनुसमर्थन के विरुद्ध वोट देने हेतु अनुरोध करने के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत शुरू कर दी हैभट्टाचार्य ने कहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी की सही सोच के सदस्यों को भी राष्ट्र के हित में अनुसमर्थन के विरुद्ध वोट देने की अपील अ.अ.छा.संघ करेगा. 
    दूसरी ओर, इस संबंध में अ.अ.छा.संघ द्वारा शुरू आंदोलन जारी है और राज्य के 26 संगठनों ने पहले से ही हाथ मिलाया है सौदा है और उत्तर पूर्व छात्र  संगठन(NESO)उत्तर पूर्व के सभी छात्र 'असम की भूमि के बांग्लादेश सौंपने के विरोध में छात्रों की छतरी संगठन बना कर खड़े हो गए हैं.
जीवन ठिठोली नहीं,जीने का नाम है!
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