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Sunday, June 10, 2012

योजना आयोग कार्यालय बाथरूम

आलू वाले साहब, जितना पैसा पेशाब घर में एक यन्त्र पर लगा दिया, (आपके ही आंकड़ों के अनुसार) इतने में तो एक लाख लोग अपने परिवार का पालन कर लेते, यह किस योजना व औचित्य के तहत स्वीकृत हुआ? कृ. स्पष्ट करें ! तिलक
अभी कुछ दिनों पहले ग्रामीण क्षेत्र में आम आदमी की प्रति व्यक्ति आय 26 रुपये और शहरी क्षेत्र में आम आदमी की प्रति व्यक्ति आय 32 रुपये को पर्याप्त बताने वाले योजना आयोग के कर्ताधर्ता मोंटेक सिंह अहुवालियाँ ने योजना आयोग के कार्यालय में अपने बाथरूम पर 35 लाख रूपया खर्च करने की योजना को अंजाम दे दिया .... एक ओर भारत की सड़कों पर पार्याप्त शोचालय, पेशाब घर की कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही बनवाने की कोई योजना है, लेकिन विज्ञापनों के माध्यम से मुन्नी को खेत में शोच के लिए जाने पर गुंडे उठा कर ले जायेगे जैसे विज्ञापनों पर करोडो खर्च किये जाते है, भारत सरकार पर और योजना आयोग पर योजनाये तो बहुत है किन्तु खर्च केवल अपने पर करते है,
अरे जहाँ 17 हज़ार से अधिक योजनाओं का नाम केवल 1 परिवार के नाम पर रखा गया है, तो शोचालय बनवा कर इसे भी उसी परिवार का नाम दे दो | इस बार तो हम भी पूरा सहयोग करेगे, इस योजना के प्रचार और प्रसार के लिए |

दुरात्मा गंदगी ग्रामीण शोचालय
नेहरुदीन गाजी पेशाब घर
मुमियानो बेगम स्नान घर
अलबर्ट विन्ची शहरी विकास शोचालय
अन्तेनियो महिला पेशाब घर
आउल बाबा यूरिनल
बियंका सुलभ शोचालय
खान्ग्रेस चलता फिरता शोचालय ||

जय जय सियाराम ,, जय जय माँ भारती ||

______________________________ जीत शर्मा "मानव"
संपादक युग दर्पण तिलक 
हम जो भी कार्य करते हैं परिवार/ काम धंधे के लिए करते हैं,
देश की बिगडती दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता!
आओ मिलकर इसे बनायें-तिलक