
सेवा, श्रम, व्यवसाय, तंत्र, व्यवस्था, प्रबंधन "कार्य ही पूजा है/कर्मण्येव अधिकारस्य मा फलेषु कदाचना" दृष्टान्त का पालन हुआ नहीं,या होने नहीं दिया गया। जो करते हैं उन्हें प्रोत्साहन की जगह तिरस्कार का दंड भुगतना पड़ा है। आजीविका के लिए कुछ लोग व्यवसाय, उद्योग, कृषि से जुडे, कुछ सेवारत हैं। रेल, रक्षा। सभी का दर्द उपलब्धि, तथा परिस्थितियों सहित कार्यक्षेत्र का दर्पण। तिलक संपादक युगदर्पण Media Samooh YDMS👑 9971065525, 9540007991, 9910260268, 9999777358
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Wednesday, April 24, 2013