रपट के लागू होने के बाद प्राय: 33 लाख कर्मचारियों ने रोष प्रगट करते हुए हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी, जो अब 4 माह के लिए टल गई है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि वह रपट से पूरी तरह सहमत नहीं हैं और सरकार के पास न्यूनतम वेतन और पेंशन में वृद्धि से संबंधित दो मांगें रखी हैं।
गतिरोध दूर हुआ? बातचीत अभी जारी है
दोनों ओर से कुछ झुकने के संकेत मिल रहे हैं। सरकार की ओर से न्यूनतम वेतनमान 22-23 हजार रुपये करने की बात कही है, किन्तु कर्मचारी संगठन इस पर तैयार नहीं है... बातचीत अभी जारी है।
इस बीच लोग अभी भी रपट में दी हुई बातों को लेकर असमंजस में हैं और उन्हें कुछ मुद्दे स्पष्ट नहीं है। यदि सरकार की अनुशंसाओं और वर्तमान सातवें वेतन आयोग की रपट को देखा जाए तो कुछ बातें इस प्रकार हैं...
वेतन और भत्तों में कितनी हुई वृद्धि ?
वेतन आयोग की रपट के अनुसार मूल वेतन और भत्तों में हुई वृद्धि कुछ इस प्रकार है।
भत्तों में वृद्धि - 63 % वेतन और भत्तों को मिलाकर कुल वृद्धि - 23.55 %
जहां तक भत्तों की बात है तो कर्मचारियों को सबसे बड़ी प्रसन्नता की बात आकिभ अर्थात आवास किराया भत्ता में प्राय: 139 % की वृद्धि की है। यह लाभ कार्यरत कर्मचारियों को मिलेगा पेंशनभोगीयों को नहीं।
पेंशनभोगियों के लिए क्या किया वेतन आयोग ने?
वेतन आयोग की रपट और सरकार के निर्णय के बाद पेंशनभोगियों के खाते में पहले की तुलना में 24 % राशि अधिक आएगी।
न्यूनतम और अधिकतम वेतनमान सीमा निर्धारण?
सरकार ने वेतन आयोग की अनुशंसा और सुझाव को मानते हुए यह नीतिगत निर्णय लिया है कि न्यूनतम और अधिकतम वेतन निर्धारण होगा। वर्तमान तय दर के अनुसार यह इस प्रकार है -
न्यूनतम वेतनमान - 18000 रुपये मासिक
कर्मचारियों के लिए अधिकतम वेतन - 2.25 लाख रुपये मासिक
कबीना सचिवों के लिए - 2.5 लाख रुपये मासिक
न्यूनतम वेतन को 7000 रुपये से बढ़ाकर 18000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। न्यूनतम स्तर पर किसी भी नवनियुक्त कर्मचारी का प्रथम वेतन अब 18000 रुपये होगा। इसे ही 26 हजार रुपये मासिक पर ले जाने की बात कर्मचारी संगठन कर रहे हैं।
प्रथम श्रेणी अधिकारी का न्यूनतम वेतनमान कितना है?
उधर, नवनियुक्त ‘श्रेणी-1’ अधिकारी का आरम्भिक वेतन 56100 रुपये होगा। यह 1:3.12 के संकुचन अनुपात को दर्शाता है, जिससे यह पता चलता है कि सीधी भर्ती वाले किसी भी ‘श्रेणी I’ अधिकारी का वेतन न्यूनतम स्तर पर नवनियुक्त कर्मचारी के वेतन से तीन गुना अधिक होगा।
स्वास्थ्य बीमा योजना में कुछ परिवर्तन हुआ है?
स्वास्थ्य बीमा योजना को सरकार ने वेतन आयोग के सुझावों के विपरीत स्वीकार किया है। यह योजना पूर्व की भांति यथावत रहेगी। मंमं ने केंद्र सरकार कर्मचारी समूह बीमा योजना (केंसकसबीयो) में किए जाने वाले मासिक अंशदान में भारी वृद्धि करने की अनुशंसा को भी न मानने का निर्णय लिया है, जैसी कि आयोग ने अनुशंसा की थी।
वार्षिक वृद्धि कितना होगा?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों को 3 % की दर से वार्षिक वृद्धि अंश दिया जाता रहेगा।
सैन्य सेवा वेतन क्या परिवर्तन हुआ है?
सेना से जुड़े कर्माचारियों के लिए यह बड़ी जानकारी है। सरकार ने सैन्य सेवा वेतन को 15500 रुपये मासिक कर दिया है।
वेतन आयोग पर कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें