"कार्य ही पूजा है/कर्मण्येव अधिकारस्य मा फलेषु कदाचना" दृष्टान्त का पालन होता नहीं,या होने नहीं दिया जाता जो करते हैं उन्हें प्रोत्साहन की जगह तिरस्कार का दंड भुगतना पड़ता है आजीविका के लिए कुछ लोग व्यवसाय, उद्योग, कृषि से जुडे, कुछ सेवारत हैंरेल, रक्षा सभी का दर्द उपलब्धि, तथा परिस्थितियों सहित कार्यक्षेत्र का दर्पण तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Friday, November 11, 2011

सोनिया गाँधी की "वैधानिकता" पर प्रथम अधिकृत प्रश्न चिन्ह ?

सोनिया गाँधी की "वैधानिकता" पर प्रथम अधिकृत प्रश्न  चिन्ह ?
उत्तराखण्ड में 
आगामी चुनाव को देखते हुए ॠषिकेश से कर्णप्रयाग की रेल लाइन के निर्माण का भूमिपूजन विशाल स्तर पर किया जाना था। गढ़वाल क्षेत्र में इस 4,295 करोड़ रु. की रेल परियोजना की नींव का पत्थर रखने के लिए सोनिया गाँधी को आमंत्रित किया गया था (देश के कई राज्यों में एक संवैधानिक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का अपमान करते हुए सोनिया गाँधी से उदघाटन करवाने की चरणपूजन परम्परा रही है।)। अपनी "रहस्यमयी बीमारी" के बाद सोनिया गाँधी की यह पहली विशाल आमसभा भी होती…। किन्तु उचित समय पर उत्तराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री श्री खण्डूरी ने कांग्रेस के
रंग में भंग कर दिया। 
हाल ही में अण्णा की मंशा के अनुरूप जनलोकपाल बिल पास करवा उनसे प्रशंसा पा चुके भुवनचन्द्र खण्डूरी ने "प्रोटोकॉल" का प्रश्न उठाते हुए राष्ट्रपति भवन एवं प्रधानमंत्री कार्यालय से लिखित में पूछा, कि "आखिर सोनिया गाँधी किस हैसियत से इस केन्द्रीय रेल परियोजना की आधारशिला रख रही हैं? न तो वे प्रधानमंत्री हैं, न ही रेल मंत्री हैं और UPA अध्यक्ष का पद कोई संवैधानिक पद तो है नहीं?…यह तो साफ़-साफ़ संवैधानिक परम्पराओं का उल्लंघन एवं प्रधानमंत्री और रेल मंत्री का अपमान है…"।
इसके बाद सोनिया गाँधी का यह कार्यक्रम रद्द तो कर दिया गया और इस आधारशिला कार्यक्रम में एक सांसद ने सोनिया गाँधी का एक संदेश पढ़कर सुनाया
। किन्तु राज्य की इस महत्वपूर्ण योजना के इस संवैधानिक कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री को ही निमंत्रण नहीं दिया गया था, मानो यह रेल परियोजना "गाँधी परिवार" का कोई पारिवारिक कार्यक्रम हो। वैसे यदि यह कार्यक्रम अपने मूलरूप में सम्पन्न होता, तो दिनेश त्रिवेदी (रेलमंत्री), भरतसिंह सोलंकी और केएम मुनियप्पा (दोनों रेल राज्यमंत्री) सोनिया गाँधी के पीछे-पीछे खड़े होकर सिर्फ़ हें-हें-हें-हें-हें करते हुए हाथ भर हिलाते, किन्तु अब रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी को उनका "उचित संवैधानिक सम्मान" मिला।
स्पष्ट है कि कांग्रेस खण्डूरी के इस वार से भौंचक्की रह गई है, क्योंकि अभी तक किसी मुख्यमंत्री का ऐसे "असुविधाजनक प्रश्न" उठाने का "साहस"(?) नहीं हुआ था। अब शर्म छिपाने के लिए कांग्रेस द्वारा "उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे" की तर्ज पर प्रदेश कांग्रेस ने खण्डूरी की कड़ी आलोचना की गई। कांग्रेस ने कहा है कि सोनिया गाँधी बीमारी की वजह से उनका यहाँ आना रद्द किया गया है, इसका खण्डूरी के सवालों से कोई लेना-देना नहीं है…।
हम जो भी कार्य करते हैं परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं,
देश की बिगडती दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता!
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Friday, November 4, 2011

युगदर्पण के 10 हजारी होने पर आप सभी को हार्दिक बधाई व धन्यवाद.

युगदर्पण के 10 हजारी होने पर आप सभी को हार्दिक बधाई व धन्यवाद. युग दर्पण ब्लाग पर 49 देशों के ३६४०, तथा राष्ट्र दर्पण पर ३३ देशों के १६९३, लोगों ने विगत १ १/२ वर्षों में बने हमारे ब्लाग को १० हज़ार बार खोला है पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण
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Thursday, November 3, 2011

अखिल असम छात्र संघ की मुख्यमंत्री को चुनौती

अखिल असम छात्र संघ की मुख्यमंत्री को चुनौती
यु.द.समाचार, गुवाहाटी, 26 अक्तूबर -
   अखिल असम छात्र संघ (AASU) ने आज मुख्यमंत्री तरुण गोगोई द्वारा हाल ही में देश की सीमा विवाद पर बांग्लादेश के साथ समझौता हस्ताक्षर किए जाने से 1200 एकड़ भूमि के अर्जित किया जाने के दावे को चुनौती दी है तथा कहा कि वह उस भूखंड की पहचान कर जनता को अवगत कराएँ.
   अखिल असम छात्र संघ सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री असम मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस सौदे में असम ने भूमि को पर्याप्त मात्रा में खो दिया और कहा कि यह असम के लोगों को स्वीकार्य नहीं है. मुख्यमंत्री ने सौदा हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद उनके दिल्ली आगमन के बाद इस मुद्दे पर सबसे पहले जो वक्तव्य दिया था और विधानसभा में एक और एक बयान दिया था. जिससे यह साबित होता है कि मुख्यमंत्री लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, अ.अ.छा.संघ सलाहकार ने कहा.
   भट्टाचार्य ने कहा है कि केन्द्र और राज्य में सरकार लगातार देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफल रही है. हालांकि करीमगंज में पालाथल क्षेत्र में सीमा स्तंभ वर्षों पूर्व 1962 में बनवाये गये थे, क्षेत्र की रक्षा करने में सरकार की अपराधिक विफलता से विदेशी नागरिक क्षेत्र का अतिक्रमण करने में सफल रहे और बाद में बांग्लादेश ने दावा किया कि क्षेत्र में इसके प्रतिकूल कब्जे के तहत हुई थी. सरकार को अतिक्रमण रोकना व बेदखल करना चाहिए था, लेकिन ऐसा करने के बजाय क्षेत्र बांग्लादेश को क्यों सौंप दिया गया, उन्होंने कहा.        
     अ.अ.छा.संघ सलाहकार ने कहा कि सीमा पर बाड़ लगाने के कारण ही अतिक्रमण बंद हुआ. हालांकि, बाड़ लगाने की धीमी प्रगति चिंता का विषय है. कोई सरकार बाड़ लगाने के लिए उपलब्धि का दावा नहीं कर सकती   हैं बाड़ कसना, यह असम समझौते का हिस्सा था, उन्होंने कहा.
     इस बीच, अ.अ.छा.संघ ने विपक्ष के राजनीतिक दलों के साथ, उन्हें देश की सीमा संधि का अनुसमर्थन के विरुद्ध वोट देने हेतु अनुरोध करने के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत शुरू कर दी हैभट्टाचार्य ने कहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी की सही सोच के सदस्यों को भी राष्ट्र के हित में अनुसमर्थन के विरुद्ध वोट देने की अपील अ.अ.छा.संघ करेगा. 
    दूसरी ओर, इस संबंध में अ.अ.छा.संघ द्वारा शुरू आंदोलन जारी है और राज्य के 26 संगठनों ने पहले से ही हाथ मिलाया है सौदा है और उत्तर पूर्व छात्र  संगठन(NESO)उत्तर पूर्व के सभी छात्र 'असम की भूमि के बांग्लादेश सौंपने के विरोध में छात्रों की छतरी संगठन बना कर खड़े हो गए हैं.
जीवन ठिठोली नहीं,जीने का नाम है!
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Tuesday, October 25, 2011

यह दीपावली भारतीय जीवन से आतंकवाद,अवसरवाद,महंगाई,भ्रष्टाचार आदि की अमावस में सत्य का दीपक जला कर धर्म व् सत्य का प्रकाश फैलाये तथा भारत को सोने की चिड़िया का खोया वैभव पुन: प्राप्त हो !Happy Diwali
आप सभी को सपरिवार युग दर्पण परिवार की ओर से दीपावली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं - 
तिलक संपादक युगदर्पण मीडिया समूह - 09911111611.
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देश की बिगडती दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता!
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Sunday, September 18, 2011

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सत्यदर्पण :-
सत्य के प्रमाणिक 'वीडियो' by DoorDarpan's channel on youtube.com/playlist Click here:-

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धर्म संस्कृति दर्पण vedios, 

dharmik vedios link, http://www.youtube.com/playlist?list=PL9F0886BCCB267DD1




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राष्ट्रदर्पण:-  कुचक्रों से घिरा राष्ट्र जागे ! vedios, link
 http://www.youtube.com/user/DoorDarpan#p/c/17D218DE462E6B7A

विश्व दर्पण:- vedios Link click here

http://www.youtube.com/playlist?list=PL92F13DC86EB68717

"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है!
इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!"- तिलक
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Sunday, September 11, 2011

सांप्रदायिक हिंसा विधेयक पर विवाद

सांप्रदायिक हिंसा विधेयक पर विवाद
गुजरात हिंसा (फ़ाईल)
सांप्रदायिक बिल पर गुजरात दंगों से उठे सवालों की छाप साफ़ है
सांप्रदायिक हिंसा की रोकथाम के नाम से बनाए गए बिल पर जहाँ विभिन्न दलों में सहमति नहीं बन पा रही है, गृह सचिव आरके सिंह ने कहा है बिल को विभिन्न विभागों और राज्यों से चर्चा के बाद ही इसे संसद में प्रस्तुत किया जाएगा.
एक तरफ़ जहाँ एनडीए-प्रशासित दलों और दूसरी सरकारों ने बिल के प्रारूप पर चिंता प्रकट की है, जानकारी के अनुसार यूपीए सदस्य तृणमूल ने भी इसे घातक कानून बताया है जिससे देश के संघीय ढाँचे को क्षति पहुँचेगी.
शनिवार से शुरू हुई राष्ट्रीय एकीकरण परिषद की बैठक में राजग(एनडीए) -शासित प्रदेशों ने प्रस्ताव के वर्तमान प्रारूप पर चिंता प्रकट की. तमिलनाडु मुख्यमंत्री जयललिता ने कहा कि इस बिल से राज्यों के अधिकारों पर असर पड़ेगा
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इसे सांप्रदायिकता बढ़ाने वाला बताया, जबकि तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी ने भी बिल का विरोध किया. उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया कि उन्हें बिल की प्रति नहीं भेजी गई है इसलिए वो इस पर कुछ नहीं कहेंगी. 
गृह सचिव आरके सिंह के अनुसार प्रधानमंत्री की ओर से कहा गया कि उन्होंने सभी चिंताओं को नोट कर लिया है और जो भी बिल लाया जाएगा वो संविधान के अनुसार होगा.

गुजरात दंगों की छाप

सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के तैयार किए गए सांप्रदायिक बिल से सपष्ट है कि मोदी पर गुजरात दंगों से शिकंजा कसने में असमर्थता का दंश है. इस परिषद में ऐसे लोग हैं जो गुजरात दंगों पर गुजरात राज्य सरकार की भूमिका की आलोचक रहे हैं.
इस प्रारूप को सुनियोजित हिंसा रोकने के नाम पर हिन्दुओं को प्रताड़ित करने के लिए तैयार किया गया है. इसमें अफ़सरों को लापरवाली के लिए दंड का प्रावधान है. इसमें राज्य और केंद्र के स्तर पर विशेष एजेंसी बनाने का प्रावधान है जो प्रशासन को अपने इशारे पर नचा सके
इस प्रारूप में सांप्रदायिक हिंसा को ऐसी हिंसा बताया गया है जो राष्ट्र के धर्मनिर्पेक्ष ढाँचे को क्षति पहुँचाए. आलोचकों को अनुसार सांप्रदायिक हिंसा की ऐसी अस्पष्ट परिभाषा निर्धारित करना अनुचित व राष्ट्रघाती है.
क्योंकि यह साम्प्रदायिक तनाव को नियंत्रित करने के बजाय उसे केवल भड़काएगा। स्वराज ने कहा कि यह विधेयक देश को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक में बांटता है।
इस बिल के विरोधियों के अनुसार सबसे अधिक चिंता प्रारूप में इस बात के कहे जाने पर है कि यदि केंद्र चाहे तो राज्य के कामकाज हस्तक्षेप कर सकती है. उनका मानना है कि कानून व्यवस्था राज्य के अधिकारों के अंतर्गत आते हैं, और ऐसे में केंद्र के हस्तक्षेप की बात पर राज्यों में चिंता है विशेषकर पूर्व में जिस तरह केंद्र सरकारें राज्यों के कामकाम में अनैतिक हस्तक्षेप करते रहे हैं.
कई लोगों को प्रारूप से एक और चिंता इस बात पर है कि प्रारूप में सांप्रदायिक हंगामें के लिए बहुसंख्यक समाज को आरोपित कर धार्मिक या भाषाई रूप से अल्पसंख्यक लोग उसका शिकार बताये गए, जो वास्तविकता के परे, व भ्रामक है! आलोचकों के अनुसार ये मान कर चलना कि बहुसंख्यक समुदाय के लोग ही हिंसा करेंगें या फैलाएंगे, ये गलत औऱ आपत्तिजनक सोच है! 
इस प्रारूप से केंद्र सरकार सोच सपष्ट है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस और गुजरात दंगों जैसे मामलों में कैसे हिंदुत्ववादी शक्तिओं को कलंकित व दण्डित कर अपने मार्ग को निष्कंटक किया जाएहम जो भी कार्य करते हैं परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं,देश की बिगडती दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता!आओ मिलकर इसे बनायें-तिलक

Saturday, September 10, 2011

प्रकाश से भी तीव्र गति ?

प्रकाश से भी तीव्र गति ?
वो,
जो किसी विशेष
समुदाय या परिवार
से जुड़,
राजनीति में घुस गए !
एक समूह के नेता बन,
नारे देते उत्थान के उनके !
या
शर्मनिरपेक्ष चालों से,
है
वोट बैंक
बना लेते !
वो कल तक
झुग्गी बस्ती में
या किसी
"रेस्तरां में बेयरा हों,"
भले
सामान्य नौकरी की
योग्यता न हो उनमें!
हैं, देखते देखते
कुबेर स्वामी बन जाते ?
जबकि अति विद्वान्,
व कर्मठ भी
दैनिक आवश्यकताओं की
पूर्ति नहीं कर पाते!
कठोर परिश्रम से
जूझते हैं;
मात्र, एक पग
बढाने को ?
और ये
राजनैतिक चाल बाज़
कैसे;
आगे बाद जाते हैं,
प्रकाश से भी तीव्र गति से, ..
प्रकाश से भी तीव्र गति से ...?
तिलक
संपादक युग दर्पण 
9911111611
हम जो भी कार्य करते हैं
परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं,
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