"कार्य ही पूजा है/कर्मण्येव अधिकारस्य मा फलेषु कदाचना" दृष्टान्त का पालन होता नहीं,या होने नहीं दिया जाता जो करते हैं उन्हें प्रोत्साहन की जगह तिरस्कार का दंड भुगतना पड़ता है आजीविका के लिए कुछ लोग व्यवसाय, उद्योग, कृषि से जुडे, कुछ सेवारत हैंरेल, रक्षा सभी का दर्द उपलब्धि, तथा परिस्थितियों सहित कार्यक्षेत्र का दर्पण तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358

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Thursday, November 3, 2011

अखिल असम छात्र संघ की मुख्यमंत्री को चुनौती

अखिल असम छात्र संघ की मुख्यमंत्री को चुनौती
यु.द.समाचार, गुवाहाटी, 26 अक्तूबर -
   अखिल असम छात्र संघ (AASU) ने आज मुख्यमंत्री तरुण गोगोई द्वारा हाल ही में देश की सीमा विवाद पर बांग्लादेश के साथ समझौता हस्ताक्षर किए जाने से 1200 एकड़ भूमि के अर्जित किया जाने के दावे को चुनौती दी है तथा कहा कि वह उस भूखंड की पहचान कर जनता को अवगत कराएँ.
   अखिल असम छात्र संघ सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री असम मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस सौदे में असम ने भूमि को पर्याप्त मात्रा में खो दिया और कहा कि यह असम के लोगों को स्वीकार्य नहीं है. मुख्यमंत्री ने सौदा हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद उनके दिल्ली आगमन के बाद इस मुद्दे पर सबसे पहले जो वक्तव्य दिया था और विधानसभा में एक और एक बयान दिया था. जिससे यह साबित होता है कि मुख्यमंत्री लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, अ.अ.छा.संघ सलाहकार ने कहा.
   भट्टाचार्य ने कहा है कि केन्द्र और राज्य में सरकार लगातार देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफल रही है. हालांकि करीमगंज में पालाथल क्षेत्र में सीमा स्तंभ वर्षों पूर्व 1962 में बनवाये गये थे, क्षेत्र की रक्षा करने में सरकार की अपराधिक विफलता से विदेशी नागरिक क्षेत्र का अतिक्रमण करने में सफल रहे और बाद में बांग्लादेश ने दावा किया कि क्षेत्र में इसके प्रतिकूल कब्जे के तहत हुई थी. सरकार को अतिक्रमण रोकना व बेदखल करना चाहिए था, लेकिन ऐसा करने के बजाय क्षेत्र बांग्लादेश को क्यों सौंप दिया गया, उन्होंने कहा.        
     अ.अ.छा.संघ सलाहकार ने कहा कि सीमा पर बाड़ लगाने के कारण ही अतिक्रमण बंद हुआ. हालांकि, बाड़ लगाने की धीमी प्रगति चिंता का विषय है. कोई सरकार बाड़ लगाने के लिए उपलब्धि का दावा नहीं कर सकती   हैं बाड़ कसना, यह असम समझौते का हिस्सा था, उन्होंने कहा.
     इस बीच, अ.अ.छा.संघ ने विपक्ष के राजनीतिक दलों के साथ, उन्हें देश की सीमा संधि का अनुसमर्थन के विरुद्ध वोट देने हेतु अनुरोध करने के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत शुरू कर दी हैभट्टाचार्य ने कहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी की सही सोच के सदस्यों को भी राष्ट्र के हित में अनुसमर्थन के विरुद्ध वोट देने की अपील अ.अ.छा.संघ करेगा. 
    दूसरी ओर, इस संबंध में अ.अ.छा.संघ द्वारा शुरू आंदोलन जारी है और राज्य के 26 संगठनों ने पहले से ही हाथ मिलाया है सौदा है और उत्तर पूर्व छात्र  संगठन(NESO)उत्तर पूर्व के सभी छात्र 'असम की भूमि के बांग्लादेश सौंपने के विरोध में छात्रों की छतरी संगठन बना कर खड़े हो गए हैं.
जीवन ठिठोली नहीं,जीने का नाम है!
हम जो भी कार्य करते हैं
परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं,
देश की बिगडती दशा व दिशा
 की ओर कोई नहीं देखता!
आओ मिलकर इसे बनायें-तिलक

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