"कार्य ही पूजा है/कर्मण्येव अधिकारस्य मा फलेषु कदाचना" दृष्टान्त का पालन होता नहीं,या होने नहीं दिया जाता जो करते हैं उन्हें प्रोत्साहन की जगह तिरस्कार का दंड भुगतना पड़ता है आजीविका के लिए कुछ लोग व्यवसाय, उद्योग, कृषि से जुडे, कुछ सेवारत हैंरेल, रक्षा सभी का दर्द उपलब्धि, तथा परिस्थितियों सहित कार्यक्षेत्र का दर्पण तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358

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Tuesday, December 22, 2015

विधेयक पारित, संगीन अपराधों में किशोर आयु 16

विधेयक पारित, संगीन अपराधों में किशोर आयु 16 
तिलक  
22 दिसं
देश की आत्मा को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के तीन वर्ष बाद संसद ने आज किशोर न्याय से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधेयक कोस्वीकृति दे दी जिसमें बलात्कार सहित संगीन अपराधों के मामले में कुछ शर्तों के साथ किशोर माने जाने की आयु को 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है। इसमें किशोर न्याय बोर्ड के पुनर्गठन सहित कई प्रावधान किये गये हैं। देश में किशोर न्याय के क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव डालने वाले किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक को आज राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक पर लाये गये, विपक्ष के सारे संशोधनों को सदन नेअस्वीकार कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने के विरोध में माकपा ने सदन से बहिर्गमन किया। इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि इस कानून के तहत जघन्य अपराधों में वे ही अपराध शामिल किये गये हैं जिन्हें भारतीय दंड विधान संगीन अपराध मानता है। इनमें हत्या, बलात्कार, फिरौती के लिए अपहरण, तेजाब हमला आदि अपराध शामिल हैं। उन्होंने संगीन अपराध के लिए किशोर माने जाने की आयु 18 से 16 वर्ष करने पर कुछ सदस्यों की आपत्ति पर कहा कि अमेरिका के कई राज्यों, चीन, फ्रांस सहित कई देशों में इन अपराधों के लिए किशोर की आयु नौ से लेकर 14 वर्ष तक की है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस के आंकड़ों को माना जाए तो भारत में 16 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अपराध का चलन तेजी से बढ़ा है। मेनका ने किशोर न्याय बोर्ड में किशोर आरोपी की मानसिक स्थिति तय करने की लंबी प्रक्रिया के संदर्भ में कहा कि ऐसा प्रावधान इसीलिए रखा गया है जिससे किसी निर्दोष को दंड न मिले। सदन में आज इस विधेयक को प्रस्तुत करने और इस पर चर्चा के मध्य 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के माता पिता भी दर्शक दीर्घा में उपस्थित थे।
इससे पूर्व इस विधेयक पर चर्चा के मध्य विभिन्न दलों के सदस्यों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाने पर बल दिया। सदस्यों ने किशोर अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर भी चिंता जतायी और बाल सुधार गृहों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार को उचित कदम उठाने को कहा।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक 2015 सदन में चर्चा के लिए रखते हुए कहा कि इसके प्रावधानों से निर्भया मामले में भले ही प्रभाव नहीं होता हो किन्तु आगे के मामलों में नाबालिगों को रोका जा सकता है। उन्होंने सदस्यों से इस विधेयक को पारित करने की अपील करते हुए कांग्रेस से कहा कि यह विधेयक उनका है। उन्होंने कहा कि इसका आरम्भ आपने किया था और हम इसे पूर्ण कर रहे हैं। विधेयक के प्रावधानों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक समग्र विधेयक है। बाल अपराधों के मामले में आयु की सीमा कम किए जाने के प्रावधान वाले इस विधेयक में किशोर न्याय बोर्ड को कई अधिकार दिए गए हैं। मेनका गांधी ने कहा कि किसी भी नाबालिग दोषी को सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा। किशोर न्याय बोर्ड यह निर्णय करेगा कि बलात्कार, हत्या जैसे गंभीर अपराधिक घटनाओं में किसी किशोर अपराधी के लिप्त होने के पीछे उसकी मानसिकता क्या थी। बोर्ड यह तय करेगा कि यह कृत्य वयस्क मानसिकता से किया गया है या बचपने में। उन्होंने कहा कि ऐसे नाबालिग अपराधी को भी उच्च अदालतों में अपील करने का अधिकार होगा।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह विधेयक गत सत्र में और इस सत्र में भी कई दिन चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया था। किन्तु सदन में हंगामे के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि ऐसी बात की जा रही है कि सरकार इस विधेयक को लाने की इच्छुक नहीं थी। उन्होंने हालांकि कहा कि यह विधेयक विगत काल से प्रभावी नहीं होगा।
विधेयक पर चर्चा का आरम्भ करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आयु को लेकर पूरे विश्व में अलग अलग राय है और इस संबंध में विभिन्न देशों के अपने कानून हैं। किन्तु हमें भारत में अपने समाज के हिसाब से देखना है। विभिन्न प्रकार के अपराधों में किशोरों का उपयोग किए जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने सुझाव दिया कि उन्हें जेल में अलग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें कट्टर अपराधियों के साथ रखेंगे, तो किशोर अपराधियों में सुधार की सम्भावना कम हो जाएगी। 
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
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Sunday, December 6, 2015

श्रमिक कल्याण से जुड़े नए कदम

डा बी आर अम्बेडकर श्रम कल्याण एवं सशक्तिकरण उनके स्वप्न को साकार करने की पहल
श्रमिक ल्याण से जुड़े श्रम एवं रोजगार मंत्री के नए कदमों की रूपरेखा 
श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्तात्रेय का प्रेस वक्तव्य निम्नलिखित है –
‘सरकार श्रम सुधारों का विरोध करने के लिए व्यक्त किए गए कुछ विचारों से अप्रसन्न है। नई सरकार मात्र वक्तव्य जारी करके झूठी आशाएँ जगाने के बजाय, सही अर्थों में पहले ही दिन से कामगारों समेत सभी का कल्याण करने के लिए प्रतिबद्ध रही है।
सरकार संगठित अथवा असंगठित क्षेत्र के प्रत्येक कामगार को रोजगार सुरक्षा, वेतन संबंधी सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
गत डेढ़ वर्षों के मध्य नई सरकार ने श्रमिकों की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए अनेक ठोस कदम उठाए हैं और नई पहल की है।
पदभार संभालने के बाद नई सरकार ने न केवल 1000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की घोषणा की है, बल्कि‍ इसे शाश्वत ढंग से लागू भी किया है। नई सरकार के इस कदम से लगभग 20 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं। गत सरकार द्वारा इस आशय का आदेश कभी भी जारी नहीं किया गया था।’
नई सरकार ने बोनस सीमा को वर्तमान 3500 रुपये से बढ़ाकर 7000 रुपये करने अथवा पारिश्रमिक बढ़ाने, इनमें से जो भी अधिक हो, के लिए मंत्रीमण्डल की स्वीकृति प्राप्त करके श्रमिकों के लिए दूरगामी कल्याणकारी उपाय भी किया है।’ 
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं | देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता | आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक

Friday, December 4, 2015

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का दृष्टिकोण (संबोधन में)


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली में हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स लीडरशिप समिट को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत की सुनहरे भविष्‍य की ओर यात्रा का विवरण देते हुए कहा कि भारत की वर्तमान स्थिति को विश्‍व के संदर्भ में देखने के साथ-साथ कुछ वर्ष पहले भारत कहाँ था इस संदर्भ में देखना होगा। 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत के आर्थिक सुधारों के प्रति अपने दृष्टिकोण का विवरण देते हुए, हाल ही मिली कुछ बड़ी आर्थिक सफलताओं, जिनमें 7.4 प्रतिशत आर्थिक विकास दर और व्‍यापार करने के लिए सुगमता में उन्‍नति सम्मिलित है, का उल्लेख किया। उन्‍होंने कहा कि व्‍यापार करने के लिए सुगमता में बढ़ोतरी केवल केंद्र और राज्‍य के मिलकर काम करने के कारण मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्‍यों को 14वें वित्‍त आयोग की अनुशंसाओं के अनुरूप अतिरिक्‍त वित्‍तीय सहायता दी गई है। 
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बताया कि एलपीजी सब्सिडी के प्रत्‍यक्ष हस्‍तांतरण और एलईडी लाइटिंग योजना से करोड़ों रूपये की बचत की जा रही है। उन्‍होंने कहा कि यूरिया में नीम की परत चढ़ाने से इसके कृषि क्षेत्र के अतिरिक्‍त दूसरे क्षेत्रों में उपयोग को रोकने में सहायता मिली है। प्रधानमंत्री ने बिहार में दो लोकोमोटिव निर्माण इकाईयों के लिए हाल ही में रेल क्षेत्र में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश का उल्‍लेख भी किया। 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत बिना बिजली वाले 18 हजार गांवों में विद्युतीकरण की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में प्रगति हर कोई ग्रामीण विद्युतीकरण एप के द्वारा देख सकता है। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।
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Tuesday, December 1, 2015

अत्याचार का शिकार, रेलवे के 1174 शोषित पीड़ित !

- समूह संपादक युगदर्पण -
रेलवे के ये 1174 शोषित पीड़ित !
रेलवे उपभोगता सहकारी समिति, रेलवे इंस्टिट्यूट, क्वासी एडमिनिस्ट्रेटिव (अर्द्ध प्रशा.) कर्मियों का कल और आज जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन हुआ। आज के समय में जब एक अनपढ़ के लिए भी आजीविका और न्यूनतम वेतन की बातें कर स्वयं को मानवता वादी, मजदूर का मसीहा घोषित किया जाता रहा है। विगत सरकारों का प्रशासन अपने उपयोग के लिए ऐसे कर्मियों की ठेके पर भर्ती तो करता रहा किन्तु शोषण की पराकाष्ठा देखिये कि दिन भर की नौकरी के पश्चात (चौंकिए नहीं) मासिक वेतन के नाम मात्र 100 से 300 रु, जी हाँ, कथित दैनिक न्यूनतम मजदूरी के बराबर, इन्हे प्रति माह दिया जा रहा है। किसी कार्य के लिए यदि किसी को 30 वर्ष पूर्व जो वेतन दिया जाता था, आज भी उसमे बिना संशोधन या वृद्धि के दिया जाता रहे ऐसा इतिहास में कोई उदहारण है तो मात्र यही वर्ग।
इससे भी अधिक चौंकाने की बात यह है कि रेलवे के उपरोक्त संस्थानों में कार्यरत शोषण की इस पराकाष्ठा को झेलने वाले ये कर्मी कोई अनपढ़ भी नहीं हैं। अपितु नियमित चयनित कर्मियों के तृतीय श्रेणी के योग्यता मान मेट्रिक या इंटर को देखते ये तृतीय श्रेणी के योग्य होकर भी, नियमित किये जाने की आस में निरंतर शोषण का शिकार बनते रहने पर भी चतुर्थ श्रेणी में नियमित किये जाने मांग कर रहे है। प्रशासन वह भी देने को तैयार नहीं।  जैसे पांडव 5 गाँव मांगे और कौरव वह भी देने को तैयार न हों।
इसी प्रकार के सहस्त्रों बच्चों को भर्ती कर वर्षों से यह शोषण गाथा चल रही है। पहले इनमे कुछ चहेते नियमित किये जाते अन्य ऐसे ही जीवन बिता देते। किन्तु तब सस्ते समय में ये चल जाता था, बाद में एक बार 2007 में 1997 तक की भर्ती वालों को सामूहिक नियमितीकरण भी हुआ किन्तु 1997 के बाद के उसी ज़माने के वेतन पर भर्ती हो कर बिना वेतन वृद्धि या नियमितीकरण के इस महंगाई का सामना कर रहे हैं। इन्हें न्याय नकारते हुए कहा जा रहा है की जब रिक्तियां निकले तो नियमित चयन प्रक्रिया का सामना करो। प्रश्न यह है कि क्या चयन की सामान प्रक्रिया में इन्हे आयुसीमा की छूट मिलेगी ? अथवा बल तलने का प्रयास भर है ? अपने भविष्य को अंधकारमय देख हताशा में इनकी मनोदशा यह है कि अब ये चतुर्थ श्रेणी में संतुष्ट हो कर, इसे न्याय मानने को तैयार हैं किन्तु प्रशासन तो दुर्योधन का हठ त्यागना ही नहीं चाहता।
रेल मंत्रालय द्वारा 2000, 2006, व 2011, में विविध क्षेत्रीय रेलों तथा उत्पादन इकाइयों से आंकड़े एकत्र किया जाने तथा 2007 के निमितिकरण को आगे बढ़ाते हुए इन शेष बचे 1174 शोषित पीड़ितों को इस निर्मम अत्याचार से मुक्ति मिलनी ही चाहिए। इन 1174 हताश शिक्षित युवाओं को कब तक इस अत्याचार का शिकार  रहेगा ? यह यक्ष प्रश्न किसी यक्ष की भांति कब अपना उत्तर प्रस्तुत करेगा? यह समय के गर्भ में है।
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