श्रमिक कल्याण से जुड़े श्रम एवं रोजगार मंत्री के नए कदमों की रूपरेखा |
श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्तात्रेय का प्रेस वक्तव्य निम्नलिखित है – ‘सरकार श्रम सुधारों का विरोध करने के लिए व्यक्त किए गए कुछ विचारों से अप्रसन्न है। नई सरकार मात्र वक्तव्य जारी करके झूठी आशाएँ जगाने के बजाय, सही अर्थों में पहले ही दिन से कामगारों समेत सभी का कल्याण करने के लिए प्रतिबद्ध रही है। सरकार संगठित अथवा असंगठित क्षेत्र के प्रत्येक कामगार को रोजगार सुरक्षा, वेतन संबंधी सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। गत डेढ़ वर्षों के मध्य नई सरकार ने श्रमिकों की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए अनेक ठोस कदम उठाए हैं और नई पहल की है। पदभार संभालने के बाद नई सरकार ने न केवल 1000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की घोषणा की है, बल्कि इसे शाश्वत ढंग से लागू भी किया है। नई सरकार के इस कदम से लगभग 20 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं। गत सरकार द्वारा इस आशय का आदेश कभी भी जारी नहीं किया गया था।’ नई सरकार ने बोनस सीमा को वर्तमान 3500 रुपये से बढ़ाकर 7000 रुपये करने अथवा पारिश्रमिक बढ़ाने, इनमें से जो भी अधिक हो, के लिए मंत्रीमण्डल की स्वीकृति प्राप्त करके श्रमिकों के लिए दूरगामी कल्याणकारी उपाय भी किया है।’ |
Sunday, December 6, 2015
श्रमिक कल्याण से जुड़े नए कदम
डा बी आर अम्बेडकर श्रम कल्याण एवं सशक्तिकरण उनके स्वप्न को साकार करने की पहल
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
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आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक
Friday, December 4, 2015
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण (संबोधन में)
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की सुनहरे भविष्य की ओर यात्रा का विवरण देते हुए कहा कि भारत की वर्तमान स्थिति को विश्व के संदर्भ में देखने के साथ-साथ कुछ वर्ष पहले भारत कहाँ था इस संदर्भ में देखना होगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के आर्थिक सुधारों के प्रति अपने दृष्टिकोण का विवरण देते हुए, हाल ही मिली कुछ बड़ी आर्थिक सफलताओं, जिनमें 7.4 प्रतिशत आर्थिक विकास दर और व्यापार करने के लिए सुगमता में उन्नति सम्मिलित है, का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि व्यापार करने के लिए सुगमता में बढ़ोतरी केवल केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने के कारण मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों को 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अनुरूप अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी गई है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बताया कि एलपीजी सब्सिडी के प्रत्यक्ष हस्तांतरण और एलईडी लाइटिंग योजना से करोड़ों रूपये की बचत की जा रही है। उन्होंने कहा कि यूरिया में नीम की परत चढ़ाने से इसके कृषि क्षेत्र के अतिरिक्त दूसरे क्षेत्रों में उपयोग को रोकने में सहायता मिली है। प्रधानमंत्री ने बिहार में दो लोकोमोटिव निर्माण इकाईयों के लिए हाल ही में रेल क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का उल्लेख भी किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत बिना बिजली वाले 18 हजार गांवों में विद्युतीकरण की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में प्रगति हर कोई ग्रामीण विद्युतीकरण एप के द्वारा देख सकता है।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बताया कि एलपीजी सब्सिडी के प्रत्यक्ष हस्तांतरण और एलईडी लाइटिंग योजना से करोड़ों रूपये की बचत की जा रही है। उन्होंने कहा कि यूरिया में नीम की परत चढ़ाने से इसके कृषि क्षेत्र के अतिरिक्त दूसरे क्षेत्रों में उपयोग को रोकने में सहायता मिली है। प्रधानमंत्री ने बिहार में दो लोकोमोटिव निर्माण इकाईयों के लिए हाल ही में रेल क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का उल्लेख भी किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत बिना बिजली वाले 18 हजार गांवों में विद्युतीकरण की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में प्रगति हर कोई ग्रामीण विद्युतीकरण एप के द्वारा देख सकता है।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।
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Tuesday, December 1, 2015
अत्याचार का शिकार, रेलवे के 1174 शोषित पीड़ित !
- समूह संपादक युगदर्पण -
रेलवे के ये 1174 शोषित पीड़ित !
रेलवे उपभोगता सहकारी समिति, रेलवे इंस्टिट्यूट, क्वासी एडमिनिस्ट्रेटिव (अर्द्ध प्रशा.) कर्मियों का कल और आज जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन हुआ। आज के समय में जब एक अनपढ़ के लिए भी आजीविका और न्यूनतम वेतन की बातें कर स्वयं को मानवता वादी, मजदूर का मसीहा घोषित किया जाता रहा है। विगत सरकारों का प्रशासन अपने उपयोग के लिए ऐसे कर्मियों की ठेके पर भर्ती तो करता रहा किन्तु शोषण की पराकाष्ठा देखिये कि दिन भर की नौकरी के पश्चात (चौंकिए नहीं) मासिक वेतन के नाम मात्र 100 से 300 रु, जी हाँ, कथित दैनिक न्यूनतम मजदूरी के बराबर, इन्हे प्रति माह दिया जा रहा है। किसी कार्य के लिए यदि किसी को 30 वर्ष पूर्व जो वेतन दिया जाता था, आज भी उसमे बिना संशोधन या वृद्धि के दिया जाता रहे ऐसा इतिहास में कोई उदहारण है तो मात्र यही वर्ग।
इससे भी अधिक चौंकाने की बात यह है कि रेलवे के उपरोक्त संस्थानों में कार्यरत शोषण की इस पराकाष्ठा को झेलने वाले ये कर्मी कोई अनपढ़ भी नहीं हैं। अपितु नियमित चयनित कर्मियों के तृतीय श्रेणी के योग्यता मान मेट्रिक या इंटर को देखते ये तृतीय श्रेणी के योग्य होकर भी, नियमित किये जाने की आस में निरंतर शोषण का शिकार बनते रहने पर भी चतुर्थ श्रेणी में नियमित किये जाने मांग कर रहे है। प्रशासन वह भी देने को तैयार नहीं। जैसे पांडव 5 गाँव मांगे और कौरव वह भी देने को तैयार न हों।
इसी प्रकार के सहस्त्रों बच्चों को भर्ती कर वर्षों से यह शोषण गाथा चल रही है। पहले इनमे कुछ चहेते नियमित किये जाते अन्य ऐसे ही जीवन बिता देते। किन्तु तब सस्ते समय में ये चल जाता था, बाद में एक बार 2007 में 1997 तक की भर्ती वालों को सामूहिक नियमितीकरण भी हुआ किन्तु 1997 के बाद के उसी ज़माने के वेतन पर भर्ती हो कर बिना वेतन वृद्धि या नियमितीकरण के इस महंगाई का सामना कर रहे हैं। इन्हें न्याय नकारते हुए कहा जा रहा है की जब रिक्तियां निकले तो नियमित चयन प्रक्रिया का सामना करो। प्रश्न यह है कि क्या चयन की सामान प्रक्रिया में इन्हे आयुसीमा की छूट मिलेगी ? अथवा बल तलने का प्रयास भर है ? अपने भविष्य को अंधकारमय देख हताशा में इनकी मनोदशा यह है कि अब ये चतुर्थ श्रेणी में संतुष्ट हो कर, इसे न्याय मानने को तैयार हैं किन्तु प्रशासन तो दुर्योधन का हठ त्यागना ही नहीं चाहता।
रेल मंत्रालय द्वारा 2000, 2006, व 2011, में विविध क्षेत्रीय रेलों तथा उत्पादन इकाइयों से आंकड़े एकत्र किया जाने तथा 2007 के निमितिकरण को आगे बढ़ाते हुए इन शेष बचे 1174 शोषित पीड़ितों को इस निर्मम अत्याचार से मुक्ति मिलनी ही चाहिए। इन 1174 हताश शिक्षित युवाओं को कब तक इस अत्याचार का शिकार रहेगा ? यह यक्ष प्रश्न किसी यक्ष की भांति कब अपना उत्तर प्रस्तुत करेगा? यह समय के गर्भ में है।
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रेलवे के ये 1174 शोषित पीड़ित !
रेलवे उपभोगता सहकारी समिति, रेलवे इंस्टिट्यूट, क्वासी एडमिनिस्ट्रेटिव (अर्द्ध प्रशा.) कर्मियों का कल और आज जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन हुआ। आज के समय में जब एक अनपढ़ के लिए भी आजीविका और न्यूनतम वेतन की बातें कर स्वयं को मानवता वादी, मजदूर का मसीहा घोषित किया जाता रहा है। विगत सरकारों का प्रशासन अपने उपयोग के लिए ऐसे कर्मियों की ठेके पर भर्ती तो करता रहा किन्तु शोषण की पराकाष्ठा देखिये कि दिन भर की नौकरी के पश्चात (चौंकिए नहीं) मासिक वेतन के नाम मात्र 100 से 300 रु, जी हाँ, कथित दैनिक न्यूनतम मजदूरी के बराबर, इन्हे प्रति माह दिया जा रहा है। किसी कार्य के लिए यदि किसी को 30 वर्ष पूर्व जो वेतन दिया जाता था, आज भी उसमे बिना संशोधन या वृद्धि के दिया जाता रहे ऐसा इतिहास में कोई उदहारण है तो मात्र यही वर्ग।
इससे भी अधिक चौंकाने की बात यह है कि रेलवे के उपरोक्त संस्थानों में कार्यरत शोषण की इस पराकाष्ठा को झेलने वाले ये कर्मी कोई अनपढ़ भी नहीं हैं। अपितु नियमित चयनित कर्मियों के तृतीय श्रेणी के योग्यता मान मेट्रिक या इंटर को देखते ये तृतीय श्रेणी के योग्य होकर भी, नियमित किये जाने की आस में निरंतर शोषण का शिकार बनते रहने पर भी चतुर्थ श्रेणी में नियमित किये जाने मांग कर रहे है। प्रशासन वह भी देने को तैयार नहीं। जैसे पांडव 5 गाँव मांगे और कौरव वह भी देने को तैयार न हों।
इसी प्रकार के सहस्त्रों बच्चों को भर्ती कर वर्षों से यह शोषण गाथा चल रही है। पहले इनमे कुछ चहेते नियमित किये जाते अन्य ऐसे ही जीवन बिता देते। किन्तु तब सस्ते समय में ये चल जाता था, बाद में एक बार 2007 में 1997 तक की भर्ती वालों को सामूहिक नियमितीकरण भी हुआ किन्तु 1997 के बाद के उसी ज़माने के वेतन पर भर्ती हो कर बिना वेतन वृद्धि या नियमितीकरण के इस महंगाई का सामना कर रहे हैं। इन्हें न्याय नकारते हुए कहा जा रहा है की जब रिक्तियां निकले तो नियमित चयन प्रक्रिया का सामना करो। प्रश्न यह है कि क्या चयन की सामान प्रक्रिया में इन्हे आयुसीमा की छूट मिलेगी ? अथवा बल तलने का प्रयास भर है ? अपने भविष्य को अंधकारमय देख हताशा में इनकी मनोदशा यह है कि अब ये चतुर्थ श्रेणी में संतुष्ट हो कर, इसे न्याय मानने को तैयार हैं किन्तु प्रशासन तो दुर्योधन का हठ त्यागना ही नहीं चाहता।
रेल मंत्रालय द्वारा 2000, 2006, व 2011, में विविध क्षेत्रीय रेलों तथा उत्पादन इकाइयों से आंकड़े एकत्र किया जाने तथा 2007 के निमितिकरण को आगे बढ़ाते हुए इन शेष बचे 1174 शोषित पीड़ितों को इस निर्मम अत्याचार से मुक्ति मिलनी ही चाहिए। इन 1174 हताश शिक्षित युवाओं को कब तक इस अत्याचार का शिकार रहेगा ? यह यक्ष प्रश्न किसी यक्ष की भांति कब अपना उत्तर प्रस्तुत करेगा? यह समय के गर्भ में है।
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Tuesday, November 17, 2015
विश्व हिंदू परिषद के पितामह अशोक सिंघल का निधन
विश्व हिंदू परिषद के पितामह अशोक सिंघल का निधन
युगदर्पण समाचार
17 नवंबर 2015 गुड़गांव
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युगदर्पण समाचार
17 नवंबर 2015 गुड़गांव
अस्सी के दशक के अंतिम वर्षों और बाद के दिनों में राम जन्मभूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विहिप शिखर पुरुष अशोक सिंघल जी का आज यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डा प्रवीण तोगड़िया ने बताया कि सांस संबंधी और अन्य परेशानियों के बाद पिछले शनिवार को मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराए गए, सिंघल का हृदय गति रूकने और सेप्टीसीमिया के कारण दिन में दो बजकर 24 मिनट पर निधन हो गया।
श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन के कर्णधार, श्रीराम मंदिर के शिल्पकार, हिन्दू ह्रदय सम्राट के सम्बोधन से जाने जाते एवं आजीवन अविवाहित और आरएसएस प्रचारक रहे सिंघल ने, दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस तक कारसेवक अभियान चलाने में आक्रामक शैली अपनायी थी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से धातु विज्ञान इंजीनियरिंग में स्नातक, सिंघल ने अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में संगठन को आगे बढ़ाया। दुनिया भर में समर्थक बनाकर और शाखाएं लगाकर, इसे अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाने की कोशिश की। विहिप के अभियान में विदेशी समर्थकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके पूर्व मीनाक्षीपुरम में कथित कुलीन हिन्दुओं द्वारा मन्दिर प्रवेश रोकने की घटना के बाद सामूहिक धर्मान्तरण से हिलती समाज की नींव उस एक युगपुरुष को ऐसा झंझोड़ गई थी कि उसे धातु विज्ञान से समाज उत्थान की ओर मोड़ दृष्टी व ध्येय से युक्त साधक बना दिया। वहां जिनके लिए मंदिर के द्वार बंद हो चुके थे, 200 से अधिक मंदिर बनवा कर घर वापसी का मार्ग प्रशस्त कर समाज को एक नई दिशा दी।
मुगलों अंग्रेजों व काले अंग्रेजों के शासन की मार से बीमार समाज की पीड़ाओं का उपचार करते करते वो साधक स्वयं राइट लोअर लोब निमोनिया से पीड़ित होने के बाद, सिंघल को उपचार के लिए अस्पताल की सघन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था। उन्हें 14 नवंबर की शाम से वेंटिलेटर पर रखा गया था। अस्पताल ने सोमवार को बताया था कि सांस संबंधी, तंत्रिका विज्ञान, गुर्दा, एंडोक्रीनोलॉजी विशेषज्ञों वाली एक टीम सिंह के उपचार में लगी थी। हिन्दू समाज का उपचारक जब रुग्ण था, चिकित्सक उसे बचा न सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंघल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अशोक सिंघलजी का निधन गहरी निजी क्षति है। वह अपने आप में एक संस्था थे, जिन्होंने आजीवन देश की सेवा की।’’ उन्होंने कहा कि उनका सौभाग्य है कि अशोकजी का उन्हें हमेशा आशीर्वाद और मार्गदर्शन मिला। उन्होंने कहा, ‘‘उनके परिवार और अनगिनत समर्थकों को मेरी संवेदनाएं।’’ प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि अशोक सिंघल कई अनूठी चीजों और सामाजिक कार्यों के प्रेरणास्रोत थे, जिनका फायदा गरीबों को मिला। ‘वह पीढियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं।’
सिंघल के पार्थिव शरीर को, रात में मध्य दिल्ली में झंडेवालान में आरएसएस कार्यालय में लाया जाएगा। तोगड़िया ने बताया कि बुधवार दिन में तीन बजे तक वहां उनके पार्थिव शरीर को रखा जाएगा, जिससे कि लोग अंतिम दर्शन कर सके। इसके बाद निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा।
आगरा में दो अक्तूबर 1926 को जन्मे सिंघल ने वर्ष 1950 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के ‘इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी’ से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। वह वर्ष 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये थे, लेकिन स्नातक की पढाई पूरी करने के बाद वह पूर्णकालिक प्रचारक बने। उन्होंने उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर काम किया और दिल्ली तथा हरियाणा के प्रांत प्रचारक बने। वर्ष 1980 में उन्हें विहिप में जिम्मेदारी देते हुए इसका संयुक्त महासचिव बनाया गया। वर्ष 1984 में वह इसके महासचिव बने और बाद में इसके कार्यकारी अध्यक्ष का पद सौंपा गया। इस पद पर वह दिसंबर 2011 तक रहे।
नकारात्मक मीडिया के लिए यह मात्र एक समाचार है किन्तु भारत और हिंदुत्व के लिए अपूरणीय क्षति की घडी है। विहिप को भले तोगड़िया के रूप में अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने पर भी अशोक जी का स्थान भर लिया जाये किन्तु उनके कार्य, उनका स्मरण कर सपनो को साकार हम करते रहेंगे, यही हमारी उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। परमात्मा समाज पर पड़ी समय की धूल को साफ करने ऐसे प्रेरणा पुञ्ज भेजते रहें। वन्दे -
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक 7531949051, 9910774607, 01125835525.नकारात्मक मीडिया के लिए यह मात्र एक समाचार है किन्तु भारत और हिंदुत्व के लिए अपूरणीय क्षति की घडी है। विहिप को भले तोगड़िया के रूप में अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने पर भी अशोक जी का स्थान भर लिया जाये किन्तु उनके कार्य, उनका स्मरण कर सपनो को साकार हम करते रहेंगे, यही हमारी उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। परमात्मा समाज पर पड़ी समय की धूल को साफ करने ऐसे प्रेरणा पुञ्ज भेजते रहें। वन्दे -
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Monday, September 21, 2015
मीडिया एक जनून
मीडिया एक जनून
युग दर्पण एक व्यवसाय नहीं, अपितु स्वस्थ मीडिया के लिए जनून है। एक व्यवसाय का संहार हो सकता है, किन्तु एक सृजनात्मक जनून का नहीं। सन 2001 से पंजी युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र हिंदी में लघु आकार सम्पूर्ण व स्वस्थ समाचार, संस्कार युक्त विचार तथा 2010 से इंटरनेट से जुड़ा तो 70 देशों में एक विशिष्ठ पहचान अर्जित की है, जिसमे विविध विषयों के 30 ब्लॉग फेसबुक में 9 समूह 7 समुदाय पेज ट्वीटर रेडिफ शामिल है। ऑरकुट भी था। तथा 5 नेट चैनल हैं।
Media my Passion
Yug Darpan is not a profession but the passion for Healthy Media. A profession may destruct but a passion can't, will never die YDMS.
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प,
देश की जड़ों से जुड़ें, युगदर्पण के संग
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक 7531949051, 9911111611
बनते हैं 125 करोड़ शेयर -Share and Share, to reach 125 Crore
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण |
भारतीय संस्कृति में ही हमारे प्राण है | संस्कृति की रक्षा करना हमारा दायित्व || -तिलक
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आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक
युग दर्पण एक व्यवसाय नहीं, अपितु स्वस्थ मीडिया के लिए जनून है। एक व्यवसाय का संहार हो सकता है, किन्तु एक सृजनात्मक जनून का नहीं। सन 2001 से पंजी युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र हिंदी में लघु आकार सम्पूर्ण व स्वस्थ समाचार, संस्कार युक्त विचार तथा 2010 से इंटरनेट से जुड़ा तो 70 देशों में एक विशिष्ठ पहचान अर्जित की है, जिसमे विविध विषयों के 30 ब्लॉग फेसबुक में 9 समूह 7 समुदाय पेज ट्वीटर रेडिफ शामिल है। ऑरकुट भी था। तथा 5 नेट चैनल हैं।
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भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण |
भारतीय संस्कृति में ही हमारे प्राण है | संस्कृति की रक्षा करना हमारा दायित्व || -तिलक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक
विकासशील भारत के अवरोध
विकासशील भारत के अवरोध
देश के नकारात्मक बिकाऊ शर्मनिरपेक्ष मीडिया का एकमात्र सकारात्मक सार्थक राष्ट्रवादी विकल्प का संकल्प युदमीस YDMS -तिलक
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण |
भारतीय संस्कृति में ही हमारे प्राण है | संस्कृति की रक्षा करना हमारा दायित्व || -तिलक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक
वन्देमातरम,
मित्रों, देश के इस बदले राजनैतिक परिवेश में, भारत के विकास के प्रति अनंत आकांक्षाएं पुन: जाग उठी हैं। साथ ही अवरोध भी खड़े करने के प्रयास किये जा रहे हैं। स्वतंत्रता पूर्व नेता जी सुभाष को हटा, गांधीने नेहरू को थोपकर, देश को जो आघात पहुँचाया, उसे
सार्वजनिक करने तथा उसके घाव भरने का यह सर्वोचित अवसर है। किन्तु गांधी से राष्ट्रवाद को भी जो क्षति पहुंची उसे दोहराया न जाये, इसके लिए सतर्कता की आवश्यकता है। अखंड राष्ट्रनिष्ठा की भी आवश्यकता है।
जिन्होंने सोने की चिड़िया देश को लूट दुर्गति बनाई, वे ही गरीबों शोषितों की राजनीति के नाम से पाखंड कर हमें भ्रमित न करें। अत: इस समूह में अधिक से अधिक जुड़ें। तथा लेखन से समाज को जगाये रखें। सांस्कृतिक विरासत सहित -
‘‘माता भूमिः पुत्रो ऽहं पृथिव्याः’’
‘उत्तिष्ठित् जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’
मित्रों, देश के इस बदले राजनैतिक परिवेश में, भारत के विकास के प्रति अनंत आकांक्षाएं पुन: जाग उठी हैं। साथ ही अवरोध भी खड़े करने के प्रयास किये जा रहे हैं। स्वतंत्रता पूर्व नेता जी सुभाष को हटा, गांधीने नेहरू को थोपकर, देश को जो आघात पहुँचाया, उसे
सार्वजनिक करने तथा उसके घाव भरने का यह सर्वोचित अवसर है। किन्तु गांधी से राष्ट्रवाद को भी जो क्षति पहुंची उसे दोहराया न जाये, इसके लिए सतर्कता की आवश्यकता है। अखंड राष्ट्रनिष्ठा की भी आवश्यकता है।
जिन्होंने सोने की चिड़िया देश को लूट दुर्गति बनाई, वे ही गरीबों शोषितों की राजनीति के नाम से पाखंड कर हमें भ्रमित न करें। अत: इस समूह में अधिक से अधिक जुड़ें। तथा लेखन से समाज को जगाये रखें। सांस्कृतिक विरासत सहित -
‘‘माता भूमिः पुत्रो ऽहं पृथिव्याः’’
‘उत्तिष्ठित् जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’
कैसे करें शत्रु और मित्र की पहचान -जो 67 वर्ष देश को लूटते रहे, अब अपने पाप, एक राष्ट्र समर्पित शासन पर थोप रहे है। क्या आप सहमत हैं ?
हाँ या न -युदस
शेयर करें
शेयर करो तिलक YDMS 7531949051
हाँ या न -युदस
शेयर करें
शेयर करो तिलक YDMS 7531949051
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण |
भारतीय संस्कृति में ही हमारे प्राण है | संस्कृति की रक्षा करना हमारा दायित्व || -तिलक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
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Thursday, September 17, 2015
जीवेत शरद: शतम्,
जीवेत शरद: शतम्,
जीवेत शरद: शतम्, ''ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ्य और राष्ट्र की सेवा करने के सभी प्रयासों में आपके सफलता एवं आज के इस महाराणा प्रताप '65 वर्षीय प्रमं नरेंद्र मोदी जी' को परमात्मा जयचंदो- मानसिंहों के सभी कुचक्रों से बचाये।’’ इन शुभकामनाओं सहित - तिलक, युगदर्पण मीडिया समूह 7531949051.अब हम सब मिलकर बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया को परास्त कर सकते हैं। इसका एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प युगदर्पण "राष्ट्र वादी मीडिया" सुदृढ़ हो सकता है।http://yugdarpans.simplesite.com/420221452
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देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता | आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक
जीवेत शरद: शतम्, ''ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ्य और राष्ट्र की सेवा करने के सभी प्रयासों में आपके सफलता एवं आज के इस महाराणा प्रताप '65 वर्षीय प्रमं नरेंद्र मोदी जी' को परमात्मा जयचंदो- मानसिंहों के सभी कुचक्रों से बचाये।’’ इन शुभकामनाओं सहित - तिलक, युगदर्पण मीडिया समूह 7531949051.अब हम सब मिलकर बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया को परास्त कर सकते हैं। इसका एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प युगदर्पण "राष्ट्र वादी मीडिया" सुदृढ़ हो सकता है।http://yugdarpans.simplesite.com/420221452
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