"कार्य ही पूजा है/कर्मण्येव अधिकारस्य मा फलेषु कदाचना" दृष्टान्त का पालन होता नहीं,या होने नहीं दिया जाता जो करते हैं उन्हें प्रोत्साहन की जगह तिरस्कार का दंड भुगतना पड़ता है आजीविका के लिए कुछ लोग व्यवसाय, उद्योग, कृषि से जुडे, कुछ सेवारत हैंरेल, रक्षा सभी का दर्द उपलब्धि, तथा परिस्थितियों सहित कार्यक्षेत्र का दर्पण तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358

what's App no 9971065525


DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची

https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं

बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Wednesday, March 9, 2016

लोकसभा में पारित भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक 2016

लोकसभा में पारित भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक 2016 
स्वास्थ्य , सुरक्षा तथा पर्यावरण से संबंधित उत्पादों और सेवाओं के लिए मानक प्रमाणन आवश्यक 
भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक में उत्पाद और सेवाएं मानकों के अनुरूप न होने पर उपभोक्ताओं को प्रतिपूर्ति  का प्रावधान 
व्यावसायिक सहजता हेतु उल्लंघन मामले में कठोर दंड के साथ मानक की स्वतः घोषणा का प्रावधान किया  
लोकसभा में कल पास किया गया भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक 2016 देश में गुणवत्ता संपन्न उत्पादों और सेवाओं को सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रमुख पग है। भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक के प्रावधानों से आवश्यक प्रमाणन के माध्यम से उत्पादों तथा सेवाओं की गुणवत्ता संस्कृति विकसित होगी और भारतीय मानकों के स्वेच्छा से अनुपालन से भी यह संस्कृति बढ़ेगी। राज्यसभा ने कल इस विधेयक को पारित कर दिया, लोकसभा ने 3 दिसंबर, 2015 को इसे अपनी स्वीकृति दे दी थी। विधेयक की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैः 
·         विधेयक स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण, अनुचित व्यवहारों को रोकने, सुरक्षा आदि की दृष्टि से आवश्यक होने पर सरकार को किसी उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा को आवश्यक रूप से प्रमाणन व्यवस्था के अंतर्गत लाने का अधिकार देता है। इससे उपभोक्ताओं को गुणवत्ता संपन्न उत्पाद मिलेगे और मानक से कम उत्पादों के आयात को रोकने में सहायता मिलेगी। 
·         अनावश्यक फील्ड निरीक्षण को सीमित करके व्यावसायिक सहजता हेतु विधेयक में कुछ श्रेणियों के लिए भारतीय मानकों का स्वैच्छिक पालन की घोषणा की व्यवस्था है। साथ-साथ अनुपालन नहीं करने पर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। कठोर दंड में दो वर्ष की कैद या उत्पाद के मूल्य या बिक्री या दोनों के मूल्य से दस गुना दंड भरना होगा। 
·          बिल के प्रावधानों के अनुसार भारतीय मानक ब्यूरो, अब उत्पादों के मानकों के अनुरूप नहीं होने पर, बाजार से उत्पाद वापस लेने का आदेश दे सकता है। इसके अतिरिक्त निर्माता का पंजीयन भी रद्द किया जा सकता है। 
·         वस्तुओं और सेवाओं के मानकों के अनुरूप नहीं होने पर, भारतीय मानक ब्यूरों उपभोक्ताओं को प्रतिपूर्ति देने का आदेश कर सकता है। 
·         विधेयक में सरकार को सोना तथा चांदी जैसे मूल्यावान धातुओं की 'हॉलमार्किंग' को आवश्यक बनाने का अधिकार दिया गया है। 
·         अब देश में सेवा क्षेत्र का महत्व भी बढ़ गया है। इसलिए स्वास्थ्य सेवा तथा शिक्षा सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु सेवाओं तथा प्रणालियों को मानक व्यवस्था के अंतर्गत लाया गया है। 
·         विधेयक भारतीय मानक ब्यूरो को राष्ट्रीय मानक संस्था का स्तर देता है। 
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक 

Sunday, March 6, 2016

कौन राष्ट्र द्रोही, कौन राष्ट्र भक्त ?

कौन राष्ट्र द्रोही, कौन राष्ट्र भक्त ?
ज.ला.ने. विवि में जहाँ भारत की बर्बादी तक संघर्ष, पाकिस्तान जिन्दाबाद जैसे नारे लगे, अफज़ल, मकबूल भट्ट जिनके नायक है उनके समर्थन में गए, वामपंथियों के अतिरिक्त राहुल गाँधी व आनन्द शर्मा तथा उनसे देश के 1 अरब लोगों को उनके समर्थन का आश्वासन दिया। क्या राहुल को लगता है, पूरा देश ऐसे विचारों का समर्थक है। अर्थात पूरे देश द्वारा सत्ताच्युत होने से कुण्ठित राहुल ने पूरे समाज को राष्ट्र द्रोह की गाली दी। 
ध्यान से देखिये, इस वीडियो को जिसकी कठोर शब्दों में न केवल निन्दा की जानी चाहिए, अपितु भरपूर विरोध करने में भी, युगदर्पण तथा युदमीस (YDMS) उन सब का आवाहन करता है, जो कन्हैया के इन राष्ट्रद्रोहियों से जुड़े लोगों तथा राहुल से स्वयं को अलग मानते हैं। 
जनता को गुमराह करने और हमारे सामाजिक सांस्कृतिक ढांचे को नष्ट करने वाले, नकारात्मक मीडिया का एकमात्र परिष्कृत सुघड़ सकारात्मक विकल्प है - दूरदर्पण 
https://www.youtube.com/watch?v=HjdA79Zsq1E&list=PLDB2CD0863341092A&index=175  
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं | देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता | आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक

जलानेविवि के नारे, चिदंबरम एवं दलाल मीडिया

जलानेविवि के नारे, चिदंबरम एवं दलाल मीडिया  
तिलक  
01 मार्च 16 

केंद्रीय सरकार में विभिन्न मंत्रालयों का दायित्व संभाल चुके प्रख्यात कानूनविद पी. चिदम्बरम, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगाए गए ''आजादी के नारे'' और लोकमान्य तिलक द्वारा घोषित ''स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है'' में कोई अंतर नहीं समझ पाये तो, माना यह जायेगा कि उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। देशभक्ति और देशद्रोह के संदर्भ में चल रही वर्तमान चर्चा के संदर्भ में जलानेविवि परिसर के नारे और लोकमान्य तिलक की हुंकार में जो साम्य पी. चिदम्बरम ने दर्शाने का कुप्रयास किया है, उसे परावर्तन मानसिकता की निकृष्टतम अभिव्यक्ति कहा जा सकता है। देशद्रोह को परिभाषित करने वाली अलगाव और पृथकतावादी अभिव्यक्तियों को जो लोग तब तक देशद्रोह मानने के लिए तैयार नहीं हैं, जब तक कि उसके लिए सशस्त्र हिंसा न हो, चिदम्बरम की व्याख्या से संभवतः शायद ही कोई सहमत हों। ऐसी तुलना करने का साहस तो वह कांग्रेस पार्टी भी नहीं कर सकती, जिसके वे लम्बे समय से सदस्य हैं। 
विघटनयुक्त अनास्था के विस्तार अभियान को कुतर्क के द्वारा, लोकतांत्रिक भारत में फैलाने का जो कुचक्र 
चल रहा है, वह अब केवल कश्मीर घाटी या वनीय क्षेत्रों में शस्त्र उठाये नक्सलियों तक सीमित नहीं रह गया है। बल्कि बौद्धिक प्रगल्मता का प्रमाण बनकर ''बौद्धिकता'' का मापदंड निर्धारित करने वाला माना जा रहा है। देश के एक जाने−माने विधि विशेषज्ञ नरीमन ने कहा है कि जलानेविवि में लगाए गए आजादी के नारे या पाकिस्तान जिंदाबाद अथवा इंडिया गो बैक या फिर भारत के टुकड़े−टुकड़े करने की अभिव्यक्ति और संसद पर हमला करने वालों को, भगत सिंह जैसा शहीद बताने वाली अभिव्यक्ति देशद्रोह नहीं है, क्योंकि इसके लिए शस्त्र तो उठाया नहीं गया। यदि इन विद्वान लोगों की बात मान ली जाये, तो अब भारत माता की जय, वन्दे मातरम का उद्घोष, राष्ट्रध्वज के सम्मान का आग्रह ''देशद्रोह'' की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। इस प्रकार का आग्रह करने वालों को ''तानाशाह'' करार देने के साम्यवादी अभियान को, अब जो अपूर्व समर्थन मिल रहा है, वैसा सत्ताच्युत खिन्नता के समर्थन से ही संभव है। 
विधि विशेषज्ञ या प्रबुद्ध होने का दावा करने वालों की वर्तमान समीक्षा के अनुसार तो, आज की स्थिति में यही निष्कर्ष निकलता है कि भारत माता की जय, वन्देमातरम और तिरंगे का सम्मान राष्ट्रभक्ति का प्रतीक नहीं है और न ही पाकिस्तान जिन्दाबाद, भारत के खण्ड−खण्ड करने का आह्वान, आजादी के नारे या आतंकी आक्रान्ताओं को महात्मा बताना देशद्रोह है। कुछ मुट्ठीभर लोगों द्वारा भारतीय अस्मिता विरोधी अभियान पर कार्यवाही इतनी अखर गई कि चर्चा का मुद्दा मोड़कर विश्वविद्यालयों का भगवाकरण, अभिव्यक्ति की आजादी के छीनने और साम्राज्यवादी देशद्रोह के कानून की चर्चा के रूप में ढालकर विषयान्तर कर दिया गया। 
वे लोग भी इस विषयान्तर में बढ़−चढ़कर सहभागीबन रहे हैं, जिन्होंने संसद हमले के दोषी अफजल को फांसी पर लटकाने के कारण, देशवासियों की प्रशंसा अर्जित की थी। अब जब उनके लिए अफजल ''गुरुजी'' हो गए हैं, तो यह स्पष्ट हो गया अफज़ल के वे समर्थक तब सत्ता में थे। यह वैसा ही है, जैसे कुछ वर्ष पूर्व दिग्विजय सिंह के लिए ओसामा बिन लादिन ''ओसामाजी'' हो गए थे, जिन्हें ऐसी पुस्तक का विमोचन करने में भी शर्म नहीं आई, जिसमें लिखा गया था कि मुंबई में 26/11 का हमला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कुचक्र था। 
जिस शर्मनिरपेक्षता और कुतर्क के साथ देशद्रोह को अपराध की परिधि से बाहर निकालने के लिए विचारवान माने जाने वाले लोग मुखरित हो रहे हैं और मीडिया में टीआरपी के लोभ में चर्चा को उछाला जा रहा है, उससे एक बात बहुत स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी की सरकार को असफल कर जनमत की अपेक्षाओं पर कुठाराघात से ही जन विद्रोह हेतु जनता को उकसाया जा सकता है। इस हेतु नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए देश के जनमत की परिवर्तन की अपेक्षा पूरी होने के मार्ग में बाधा डालने के लिए, वे कुछ भी कर सकते हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को परिसर में प्रमुखता से फहराने के निर्णय पर भांति−भांति के प्रश्नचिन्ह न लगाये जाते। 
अनावश्यक से लेकर अव्यवहारिक तक का तर्क देने के पीछे मानसिकता, क्या यह नहीं दर्शाती कि चाहे मोदी सरकार हो या कुलपतियों का सम्मेलन, जो भी निर्णय करे उसका अंधविरोध किया जायेगा। विश्वविद्यालयों के प्रांगण में तिरंगा फहराने के संकल्प पर की जा रही प्रतिक्रिया हास्यास्पद तो है ही, घातक भी है। शिक्षा संस्थाओं में राष्ट्रगान के आग्रह का विरोध तो पहले से ही हो रहा है और विश्वभर को पहली बार भारत की सबसे बड़ी देन योग, जिसे उसने स्वीकारा है, साम्प्रदायिक या सांप्रदायिक आचरण को थोपने के अभियान से, वर्गीय तनाव बढ़ाने का काम हो चुका है। 

किसी घटना या अभिव्यक्ति से कितना विद्वेष बढ़ाया जा सकता है, इसके लिए घात लगाकर सन्नद्ध लोगों की सक्रियता बढ़ती जा रही है। भारतीय जनमानस को संवैधानिक आस्था, राष्ट्रीय प्रतिबद्धता तथा कानून की मान्यता से विपरीत दिशा में ढकेलने के इस प्रयास का जैसा उफान इस समय आया है, उससे देश पर छा रहा संकट किसी विदेशी हमले से घातक है। प्रगल्मता युक्त अभिव्यक्तियों को प्रमुखता देने में मुद्दे से भटककर मीडिया का बड़ा भाग पक्षपातपूर्ण प्रचार का शिकार हो गया है। उसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक छात्र बंदी होने में जन्मकुंडली तक को दर्शाने में पूरा बल लगा देने से संकोच नहीं है किन्तु केरल में किसी युवक की, उसके बूढ़े माता पिता के समक्ष, घर में घुसकर हत्या कर डालने का संज्ञान भी लेने की सुधि नहीं है। एक हत्या सुर्खियों में बनी रहती और दूसरी संज्ञानविहीन, ऐसा क्यों? 
बिकाऊ नकारात्मक भांड मीडिया, विगत लगभग दो दशक से जिस भटकाव से स्वयं पीड़ित है तथा देश को भी भ्रमित करने में लगा है उसकी परिणति इस राष्ट्रद्रोह के अतिरिक्त कुछ अन्य हो भी क्या सकती थी। 
असहिष्णुता पर क्या बोले अनुपम खेर 
gangulyकोलकाता 
 मुंबई फि.उ. कलाकार अनुपम खेर ने कोलकाता में एक कार्यक्रम में दिया भाषण, जो सोशल मीडिया पर शैली बना कर रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और 'असहिष्णुता बढ़ रही है' कहने वाले लोगों से प्रश्न करते 
इस भाषण में न्होंने कहा है कि असहिष्णुता मात्र धनिकों लोगों और मोदी विरोधियों के लिए बढ़ी है। 
अनुपम ने अपने भाषण में मोदी सरकार पर हो रहे प्रहारों तथा इस आरोप का भी उत्तर दिया, कि वह अपनी पत्नी के कारण से मोदी सरकार के पक्ष में बोलते हैं। खेर ने कहा कि उन्हें किरण खेर से विवाह किए 30 वर्ष हो गए हैं और उनके प्रति प्यार दर्शाने के लिए उन्हें मोदी के समर्थन में बोलने की कोई आवश्यकता नहीं है। 

खेर ने कहा कि उन्हें बाध्य होकर राहुल गांधी का नाम लेना पड़ रहा है और आगे बोले कि जिस दिन राहुल गांधी मोदी के 10वें अंश के बराबर भी हो गए, उनका वोट राहुल को जाएगा। इतिहासकार मुकुल केसवान संचालित, असहिष्णुता के मामले पर हुई इस चर्चा में सेवानिवृत जज अशोक गांगुली, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, सुहेल सेठ, पत्रकार बरखा दत्त और कलाकारा काजोल ने भी भाग लिया। शनिवार रात कोलकाता में ABP समूह के समाचार पत्र टेलीग्राफ की चर्चा ‘द टेलिग्राफ नेशनल डिबेट’ में दिया गया भाषण, इस कार्यक्रम में चर्चा का मुद्दा ‘टॉलरेंस इज़ द न्यू इनटॉलरेंस’ था। 
सुनिए, अनुपम ने क्या कहा- 
https://www.youtube.com/watch?v=RwRnORhSqSU&list=PLaypC1Q7dot1CKuPtD5zjgZbwZcZ8jEFX&index=42 
जनता को गुमराह करने और हमारे सामाजिक सांस्कृतिक ढांचे को नष्ट करने वाले, नकारात्मक मीडिया का एकमात्र परिष्कृत सुघड़ सकारात्मक विकल्प है - दूरदर्पण 
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं | देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता | आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक

Monday, February 29, 2016

बजट में कृषि क्षेत्र को प्रस्तावित 36,000 करोड़ रुपए

बजट में कृषि क्षेत्र को प्रस्तावित 36,000 करोड़ रुपए 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दीर्घ कालिक लक्ष्य के साथ आज इस कृषि क्षेत्र के लिए प्राय: 36,000 करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की। साथ ही उन्होंने आगामी वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर नौ लाख करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया। उन्होंने कृषि ऋण पर ब्याज छूट के लिए 15,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया जबकि नयी फसल बीमा योजना के लिए 5,500 करोड़ रुपए और दलहन उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 500 करोड़ रुपए का आवंटन किया। 
जेटली ने यह भी कहा कि एकीकृत कृषि बाजार 14 अप्रैल को प्रस्तुत किया जाएगा और मार्च 2017 तक सभी 14 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जाएगा। जेटली ने आज लोकसभा में 2016-17 का बजट प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘‘हमें अपने किसानों का आभारी होना चाहिए, जो देश की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ हैं। हमें खाद्य सुरक्षा से परे सोचने और किसानों को आय सुरक्षा की दृष्टी से वापस करने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार द्वारा कृषि और गैर कृषि क्षेत्र में अपने हस्तक्षेप पर, नए सिरे से ध्यान दिया जाएगा जिससे 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो सके।’’ 
जेटली ने कहा, ‘‘कृषि और किसानों के कल्याण के लिए हमारा कुल आवंटन 35,984 करोड़ रुपए है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करने पर बल या गया है कि किसानों को पर्याप्त और समय पर ऋण मिले। उन्होंने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2015-16 में 8.5 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य के समक्ष 2016-17 में कृषि ऋण का लक्ष्य नौ लाख करोड़ रुपए होगा, जो आज तक का उच्चतम स्तर है।’’ किसानों के ऋण भुगतान का बोझ कम करने के लिए उन्होंने कहा कि ब्याज छूट के लिए 2016-17 बजट में 15,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। जेटली ने कहा कि सरकार ने एक उल्लेखनीय फसल बीमा योजना, ‘‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’’ प्रस्तुत की है जिसके लिए 5,500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जिससे 2016-17 में प्रभावी कार्यान्वयन हो सके।
उन्होंने कहा कि सिंचाई कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। 
जेटली ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को अभियान के रूप में कार्यान्वित और सुदृढ़ किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि 28.5 लाख हेक्टेयर भूमि को इस योजना के तहत सिंचाई की सीमा में लाया जाएगा। जेटली ने कहा कि नाबार्ड में 20,000 करोड़ रुपए के आरंभिक कोष के साथ एक प्रतिबद्ध दीर्घकालिक सिंचाई कोष बनाया जाएगा जिससे सिंचाई सुविधा तैयार हो। उन्होंने कहा, ‘‘त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के तहत 89 सिंचाई परियोजनाओं के कार्यान्वयन में गति लाई जाएगी जो लम्बे समय से लंबित है।’’ इससे 80.6 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष 89 परियोजनाओं के लिए 17,000 करोड़ रुपए और आगामी पांच वर्ष में 86,500 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी। सरकार 31 मार्च 2017 से पूर्व इनमें से कम से कम 23 परियोजनाएं पूरी करेगी।
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक 
http://sarvasamaachaardarpan.blogspot.in/2016/02/blog-post.html 
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक

छोटे करदाताओं को राहत, कारों पर उपकर, सेवा कर वृद्धि

छोटे करदाताओं को राहत, कारों पर उपकर, सेवा कर वृद्धि 

वित्त मंत्री अरुण जेटली के 2016-17 के बजट में जहां एक ओर छोटे आयकर दाताओं को राहत दी गयी, वहीं एक करोड़ रुपये से अधिक की आय वालों पर अधिभार तीन प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही यात्री कारों पर भिन्न -2 दर से प्रदूषण उपकर तथा देश में कालाधन रखने वालों के लिये 45 % कर एवं अर्थदंड के साथ एक बारगी अनुपालन खिड़की का प्रस्ताव किया गया है। 
अपना तीसरा बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु सभी कर योग्य सेवाओं पर 0.5 % ‘कृषि कल्याण’ उपकर लगाने का भी प्रस्ताव किया। साथ ही शीत गृह, शीतल पात्र तथा अन्य वस्तुओं पर परियोजना आयात पर शुल्क में छूट की घोषणा की। सिगरेट और तंबाकू उत्पाद अब और भी महंगे होंगे। इस पर उत्पाद शुल्क 10 से 15 % बढ़ाया गया है। वित्त मंत्री के कर प्रस्तावों से जहां प्रत्यक्ष कर मद में 1,060 करोड़ रुपये का राजस्व क्षय होगा, वहीं अप्रत्यक्ष कर प्रस्ताव से 20,670 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। कुल मिलाकर कर प्रस्तावों से 19,610 करोड़ रुपये की शुद्ध राजस्व प्राप्ति होगी। 
वैश्विक नरमी से अर्थव्यवस्था को उबारने के प्रयास के तहत, बजट में 2016-17 में 19.78 लाख करोड़ रुपये के व्यय का प्रस्ताव किया गया है, जो चालू वित्त वर्ष से 15.3 % अधिक है। इसमें 5.50 लाख करोड़ रुपये योजना व्यय तथा 14.28 लाख करोड़ रुपये गैर-योजना व्यय है। बजट में 2016-17 में रक्षा क्षेत्र के लिये 162,759 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो चालू वर्ष के संशोधित अनुमान 143,236 करोड़ रुपये से 13 % अधिक है। रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय मद में 86,340 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है, जो चालू वर्ष में संशोधित अनुमान के अनुसार 81,400 करोड़ रुपये था। ब्याज भुगतान के लिये 492,670 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो चालू वर्ष में 442,620 करोड़ रुपये था। छूट 2016-17 थोड़ा कम रहेगी। इसके 250,433 करोड़ रुपये रहने का प्रस्ताव किया गया ,है जो चालू वर्ष में संशोधित अनुमान 257,801 करोड़ रुपये से मामूली कम है। 
छोटे करदाताओं को राहत देते हुए बजट में 5,00,000 रुपये तक वार्षिक आय वालों के लिये धारा 87 (ए) के तहत कर छूट सीमा 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। इस श्रेणी में दो करोड़ करदाता हैं, जिन्हें कर देनदारी में 3,000 रुपये की राहत मिलेगी। जिनके पास अपना मकान नहीं है और नियोक्ताओं से आवास भत्ता नहीं लेता है, उन्हें 60,000 रुपये का छूट मिलेगा, जोवर्तमान 24,000 रुपये है। पहली बार मकान क्रय वालों को 35 लाख रुपये तक के ऋण पर 50,000 रुपये वार्षिक अतिरिक्त ब्याज छूट प्राप्त होगी। किन्तु इसके लिये शर्त है, कि मकान का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक नहीं हो। 
जिनकी व्यावसायिक सकल प्राप्ति 50 लाख रुपये तक है, उन्हें यह मानते हुए कि उनका लाभ 50 % रहता है, अनुमान के आधार पर कराधान की योजना की सीमा में लाने का प्रस्ताव किया गया है। जेटली ने देश में कालाधन और अज्ञात संपत्ति रखने वालों के लिये सीमित अवधि में कर अनुपालन का अवसर देने का भी प्रस्ताव है, ताकि वे अपनी अघोषित आय एवं संपत्ति का विवरण प्रस्तुत कर सकें। ऐसे लोग पर आय के 30 % के तुल्य कर के साथ 7.5 % दण्ड  तथा 7.5 % ब्याज अर्थात कुल 45 % का भुगतान कर नियमों के उल्लंघन की सीमा से बाहर निकल आयें। 
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि इस आवधि में अपने धन सम्पत्ति का विवरण प्रस्तुत करने वालों के विरुद्ध उस धन सम्पत्ति को लेकर आयकर तथा संपत्ति कर कानून के तहत कोई जांच नहीं होगी और अभियोजन से छूट प्राप्त होगी। ध्यान योग्य है कि विदेशों में कालाधन रखने वालों के लिये कुल कर एवं जुर्माना 60 % तक है। बजट में 1998 के अनाम सौदा अधिनियम से भी कुछ शर्तों के साथ छूट का भी प्रस्ताव किया गया है। घरेलू कालेधन की घोषणा के लिए इस सीमित अवधि की नयी योजना के अन्तरगत 7.5 % अधिभार को कृषि कल्याण अधिभार कहा जाएगा और उसका उपयोग कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिये किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आय घोषणा योजना के तहत धन सम्पत्ति घोषणा की अवधि एक जून से 30 सितंबर 2016 तक देने की योजना है। इसमें घोषणा के दो माह के भीतर उस पर निर्धारित देय राशि का भुगतान करना होगा।’’ प्रस्तावित 0.5 % कृषि कल्याण उपकर सभी सेवाओं पर लागू होगा। इससे प्राप्त राशि का उपयोग कृषि में सुधार एवं किसानों के कल्याण के लिये किया जाएगा। उपकर एक जून से प्रभाव में आएगा। 
शहरों में बढ़ते प्रदूषण और यातायात की स्थिति पर चिंता जताते हुए जेटली ने कहा कि वह पेट्रोल, रसोई गैस, सीएनजी से चलने वाली छोटी कारों पर एक %, निश्चित क्षमता वाली डीजल कारों पर 2.5 % तथा उच्च इंजन क्षमता वाले वाहनों पर एसयूवी पर 4.0 % की दर से मूलभूत ढांचा उपकर लगाने का प्रस्ताव करते हैं। अपने गत वर्ष के बजट में कंपनी कर को निश्चित समयावधि में 30 % से घटाकर 25 % करने के साथ छूट एवं प्रोत्साहनों को युक्तिसंगत एवं उसे समाप्त करने के वचन को स्मरण करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर कानून के तहत उपलब्ध कराये जा रहे त्वरित मूल्य ह्रास को एक अप्रैल 2017 से अधिकतम 40 % पर सीमित करने का प्रस्ताव किया गया है। अनुसंधान के लिये कटौती का लाभ एक अप्रैल 2017 से 150 % तथा अप्रैल 2020 से 100 % पर सीमित होगा। घरेलू विनिर्माण और रोजगार सृजन को गति देने के लिये उन्होंने एक मार्च 2016 या उसके बाद गठित नई इकाइयों को 25 % की दर से कर जमा अधिभार तथा उपकर देने का विकल्प उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया। किन्तु यह इस शर्त पर है कि वे लाभ या निवेश से जुड़े छूट को लेकर दावा नहीं करेंगे। वित्त मंत्री ने 5.0 करोड़ रुपये तक के व्यवसाय वाले छोटे उद्यमों के लिये कंपनी कर की दर वित्त वर्ष 2016-17 से कम कर 29 % करने का भी प्रस्ताव किया। इसके अतिरिक्त अधिभार और उपकर लगेगा। अभी वे 30 % कंपनी कर तथा अधिभार एवं उपकर देते हैं। 
‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत स्टार्ट-अप के माध्यम रोजगार को बढ़ावा देने के प्रयास के तहत बजट में उनके विस्तार को प्रोत्साहन हेतु अप्रैल 2016 से मार्च 2019 के बीच गठित कंपनियों को उनके लाभ पर पांच वर्ष में से तीन वर्ष के लिये आय में 100 % कटौती की छूट देने का प्रस्ताव किया गया है। 
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक
http://sarvasamaachaardarpan.blogspot.in/2016/02/blog-post.html
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक

विलास पर कर, विकास पर बल

विलास पर करविकास पर बल 
तिलक 
29 फर 16 न दि 

बजट 2016-17 में कर ढांचे में कई प्रकार के परिवर्तनों से कारें, सिगरेट, ब्रांडके परिधान और विमान यात्रा महंगी हो जाएगी। वहीं पादत्राण, सौर दीप और राउटर सस्ते होंगे। कृषि कल्याण के लिए अतिरिक्त शुल्क तथा सभी प्रकार की सेवाओं पर मौलिक ढांचा उपकर से होटल आदि में खाना तथा बिलों का भुगतान महंगा हो जाएगा। साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क की दर को बढ़ाकर 15 % कर दिया है। 
बजट से महंगे होने वाले उत्पाद हैं: कारें, सिगरेट, सिगार, तंबाकू, कागज में लिपटी बीड़ी तथा गुटखा, सभी प्रकार की सेवाएं अर्थात बिलों का भुगतान, होटल में खाना और हवाई यात्रा। निर्मित वस्त्र एवं 1,000 रुपये से अधिक के ब्रांडयुक्त परिधान।
सोना और चांदी (चांदी के जड़ाऊ गहनों को छोड़कर) के आभूषण, शुद्ध पेयजल सहित चीनी या मीठी सामग्री से युक्त जल, दो लाख रुपये से अधिक की नकद वस्तुएं और सेवाएं, एल्युमीनियम पन्नी।
––विमान यात्रा
––प्लास्टिक थैला और सनैक्स
––रोपवे, केबलकार की सवारी
––आयातित नकली (इमिटेशन) आभूषण, औद्योगिक सौर जल तापन, कानूनी सेवाएं।
––लॉटरी टिकट
––बसों आदि को किराये पर लेना, 'पैकर्स और मूवर्स' की सेवाएं
––'ई रीडिंग' उपकरण
––अंतरजाल पर मूललिपि बोल के उपकरण, आयातित गोल्फ कार
–सोने की छड़

बजट से ये उत्पाद सस्ते होंगे-
–पादत्राण (फुटवियर)
–सौर दीप
–राउटर, ब्रॉडबैंड मॉडम और सेटटॉप बाक्स, डिजिटल वीडियो अभिलेखन और सीसीटीवी कैमरा।
––हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन,
––स्टरलाइज्ड डायलाइजर
––60 वर्ग मीटर से कारपेट क्षेत्र के कम मूल्य के मकान,
प्रदर्शन के लिए लोक कलाकारों की सेवाएं,
-प्रशीतित पात्र (रेफ्रिजरेटेड कंटेनर)
––पेंशन योजनाएं
––सूक्षम तरंगित तापन (माइक्रोवेव ऑवन)
––आरोग्यकर अस्तर
––चक्षुहीन पठन हेतु उभरे पाठ्य 

नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
http://sarvasamaachaardarpan.blogspot.in/2016/02/blog-post.html
 देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
 आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक 

Tuesday, December 22, 2015

विधेयक पारित, संगीन अपराधों में किशोर आयु 16

विधेयक पारित, संगीन अपराधों में किशोर आयु 16 
तिलक  
22 दिसं
देश की आत्मा को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के तीन वर्ष बाद संसद ने आज किशोर न्याय से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधेयक कोस्वीकृति दे दी जिसमें बलात्कार सहित संगीन अपराधों के मामले में कुछ शर्तों के साथ किशोर माने जाने की आयु को 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है। इसमें किशोर न्याय बोर्ड के पुनर्गठन सहित कई प्रावधान किये गये हैं। देश में किशोर न्याय के क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव डालने वाले किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक को आज राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक पर लाये गये, विपक्ष के सारे संशोधनों को सदन नेअस्वीकार कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने के विरोध में माकपा ने सदन से बहिर्गमन किया। इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि इस कानून के तहत जघन्य अपराधों में वे ही अपराध शामिल किये गये हैं जिन्हें भारतीय दंड विधान संगीन अपराध मानता है। इनमें हत्या, बलात्कार, फिरौती के लिए अपहरण, तेजाब हमला आदि अपराध शामिल हैं। उन्होंने संगीन अपराध के लिए किशोर माने जाने की आयु 18 से 16 वर्ष करने पर कुछ सदस्यों की आपत्ति पर कहा कि अमेरिका के कई राज्यों, चीन, फ्रांस सहित कई देशों में इन अपराधों के लिए किशोर की आयु नौ से लेकर 14 वर्ष तक की है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस के आंकड़ों को माना जाए तो भारत में 16 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अपराध का चलन तेजी से बढ़ा है। मेनका ने किशोर न्याय बोर्ड में किशोर आरोपी की मानसिक स्थिति तय करने की लंबी प्रक्रिया के संदर्भ में कहा कि ऐसा प्रावधान इसीलिए रखा गया है जिससे किसी निर्दोष को दंड न मिले। सदन में आज इस विधेयक को प्रस्तुत करने और इस पर चर्चा के मध्य 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के माता पिता भी दर्शक दीर्घा में उपस्थित थे।
इससे पूर्व इस विधेयक पर चर्चा के मध्य विभिन्न दलों के सदस्यों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाने पर बल दिया। सदस्यों ने किशोर अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर भी चिंता जतायी और बाल सुधार गृहों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार को उचित कदम उठाने को कहा।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक 2015 सदन में चर्चा के लिए रखते हुए कहा कि इसके प्रावधानों से निर्भया मामले में भले ही प्रभाव नहीं होता हो किन्तु आगे के मामलों में नाबालिगों को रोका जा सकता है। उन्होंने सदस्यों से इस विधेयक को पारित करने की अपील करते हुए कांग्रेस से कहा कि यह विधेयक उनका है। उन्होंने कहा कि इसका आरम्भ आपने किया था और हम इसे पूर्ण कर रहे हैं। विधेयक के प्रावधानों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक समग्र विधेयक है। बाल अपराधों के मामले में आयु की सीमा कम किए जाने के प्रावधान वाले इस विधेयक में किशोर न्याय बोर्ड को कई अधिकार दिए गए हैं। मेनका गांधी ने कहा कि किसी भी नाबालिग दोषी को सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा। किशोर न्याय बोर्ड यह निर्णय करेगा कि बलात्कार, हत्या जैसे गंभीर अपराधिक घटनाओं में किसी किशोर अपराधी के लिप्त होने के पीछे उसकी मानसिकता क्या थी। बोर्ड यह तय करेगा कि यह कृत्य वयस्क मानसिकता से किया गया है या बचपने में। उन्होंने कहा कि ऐसे नाबालिग अपराधी को भी उच्च अदालतों में अपील करने का अधिकार होगा।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह विधेयक गत सत्र में और इस सत्र में भी कई दिन चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया था। किन्तु सदन में हंगामे के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि ऐसी बात की जा रही है कि सरकार इस विधेयक को लाने की इच्छुक नहीं थी। उन्होंने हालांकि कहा कि यह विधेयक विगत काल से प्रभावी नहीं होगा।
विधेयक पर चर्चा का आरम्भ करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आयु को लेकर पूरे विश्व में अलग अलग राय है और इस संबंध में विभिन्न देशों के अपने कानून हैं। किन्तु हमें भारत में अपने समाज के हिसाब से देखना है। विभिन्न प्रकार के अपराधों में किशोरों का उपयोग किए जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने सुझाव दिया कि उन्हें जेल में अलग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें कट्टर अपराधियों के साथ रखेंगे, तो किशोर अपराधियों में सुधार की सम्भावना कम हो जाएगी। 
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक